Essay on nation first
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राष्ट्र क्या है... राष्ट्र एक भावना है... यह कर्तव्य है... यह वह जगह जिसमें हमने जन्म लिया, जिसकी मिट्टी में हम पले-बड़े, जिसमें हमने अपने सपनों को पूरा किया, अपना पूरा जीवन जिया। राष्ट्र ने हमें इतना कुछ प्रदान किया, क्या हमारा उसके प्रति कुछ कर्तव्य नहीं?
एक सच्चे देशवासी के लिए राष्ट्र प्रथम की भावना सदैव उसके मन में होनी चाहिए। जब राष्ट्र को उसकी जरूरत हो तो वह राष्ट्र की सेवा के लिए तत्पर रहे। केवल बड़ी-बड़ी बातें करने से या बड़े-बड़े नारे लगाने से ही देश-भक्ति नहीं सिद्ध हो जाती या बड़े-बड़े संदेश साझा करने से ही देशभक्ति नहीं होती बल्कि देश के लिए कुछ सार्थक करना ही राष्ट्रवादी होने का परिचायक है।
जिसको ना निज गौरव नानी देश का अभिमान है।
वो नर नहीं नर पशु निरा है और मृतक समान है।
कवि मैथिली शरण गुप्त की यह पंक्तियां ही देश के प्रति अपने भावों को काफी कुछ व्यक्त कर जाती हैं।
जब हमारे परिवार पर कोई विपत्ति आती है तो हम सब कुछ भूल जाते हैं और तब हमें अपना परिवार ही नजर आता है और अपने परिवार की सुरक्षा की खातिर अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। यह देश, यह राष्ट्र हमारा एक परिवार ही तो है यह हमारा वृहद परिवार है। यह भारत माता हमारी मां है। जब इस पर कोई विपत्ति आए तो क्या हमें इसके लिए तैयार नहीं रहना चाहिए? इसके लिए अपना सब कुछ दांव पर नहीं लगाना चाहिए? हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन की कुर्बानी देकर इस राष्ट्र का निर्माण किया हमें यह देश सौंप कर गए। इसलिए कि हम इस देश को संभाल कर रखें और जब भी विपत्ति आए तो पीछे नहीं हटना चाहिए | जैसे कि हमारे पहले हमारे देश के वीर सैनिक पीछे नहीं हटे थे।
याद रखें कि देश की रक्षा करना केवल सैनिकों का कर्तव्य नही है, बल्कि प्रत्येक राष्ट्रवासी का कर्तव्य है। राष्ट्र प्रथम की भावना सबके मन में सदैव होनी चाहिये।