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Explanation:Navratri Essay in Hindi अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे, नवरात्र पर निबंध हिन्दी भाषा में. नवरात्र या नवरात्रि भारत में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध धार्मिक त्यौहार (Festival) है.
Navratri Essay in Hindi
नवरात्र
नवरात्र मनाने की परम्परा कब से आरखा हुई, इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से तो कुछ नहीं कहा जा सकता; पर पौराणिक एवं किम्ददन्तिक कथाओं के आधार पर इस सम्बन्ध में तरह-तरह के अनुमान ही लगाये जाते हैं । इसी प्रकार नवरात्रों का सम्बन्ध किसी धार्मिक प्रक्रिया के साथ है या प्रमुख रूप से प्रकृति और कृषि-कार्यों के साथ, इस सम्बन्ध में भी निश्चित रूप से कुछ कह पाना सम्भव नहीं । वह इस कारण कि दोनों से सम्बन्ध रखने वाली क्रिया-प्रक्रियाएँ इन दिनों लगभग साथ-साथ चला करती हैं ।
लोग जव की खेत्री (खेती) भी बोते हैं और देवी मानकर ही उसे उगा देख उसकी पूजा कर प्रसन्न भी हुआ करते हैं । दूसरी ओर दुर्गा देवी की पूजा भी लगातार नौ दिनों तक करते रह कर बच्चियों (कंजकों) को पूज कर खिलाया भी करते हैं । यह सभी ध्यातव्य है कि नवरात्र प्रतिवर्ष में एक बार नहीं; बल्कि दो बार मनाए जाते हैं । नवरात्र का पर्व मुख्यत: व्रतोपवास रूप में मनाने की परम्परा है । एक बार यह विजय- दशमी (दशहरा) आने से पहले मनाया जाता है ।
कहा जाता है कि लंका पर आक्रमण करने से पहले श्रीराम ने दुर्गादेवी की पूजा अर्चना की थी, अत: तब विजयदशमी से पहले एकम से लेकर नवमी तिथि तक व्रत रखकर देवी-पूजा करने की परम्परा का इन (नवरात्रों) के साथ जुड-जाना समझ में आता है; पर खेत्री क्यों बोई जाती है, इस रहस्य को समझ पाना कठिन बात है । यह भी प्रसिद्ध है कि राम-रावण का युद्ध निरन्तर नौ दिन चलता रहा और दसवें दिन श्रीराम विजयी हुए । अत: नौ दिनों तक उनकी विजय के इच्छुक देवी-पूजा एवं व्रतोपवास करते रहे होंगे ।
यह भी समझ में आने वाली बात हैं । सो आज भी नवरात्रों में देवी-भक्त ही नहीं आम हिन्दू-परिवारों में विशेष कर स्त्रियाँ व्रतोपवास कर खेत्री भी बीजा करती हैं और कंजके या बालिकाएँ भी जिंमाया करती हैं । दसवें दिन दशहरे का त्योहार व्यापक स्तर पर स्त्री-पुरुष सभी मनाते हैं-वह भी नौ दिन रामलीला करने के बाद, इस तथ्य से हम सभी लोग भली-भाँति परिचित हैं । नवरात्र को व्रतोत्सव के रूप में मनाने के साथ एक प्रमुख कथा और भी जुड़ी हुई है । कहते हैं कि महिषासुर नामक दैत्य ने देवताओं को अत्यधिक पीड़ित-आतंकित कर रखा था ।
अपने बचाव का उपाय न देख देवराज इन्द्र के नेत् त्व में देवताओं ने ब्रह्मा के पास पहुँच अपनी रक्षा की गुहार की । तब ब्रह्मा जी की सलाह से देवताओं ने अपनी-अपनी शक्तियाँ प्रदान कर उनके सम्मिलित रूप से एक अदम्य शक्ति (देवी) का सृजन किया । शक्तिस्वरूपा, सिंहवाहिनी वह देवी लगातार नौ दिनों तक महिषासुर के साथ भयानक युद्ध करती रही । अन्त में दसवें दिन देवी उसे मार पाने में सफल हो सकी । सो जब तक (नौ दिन) देवी महिषासुर से युद्ध करती रही, सभी देवी-देवता और धरती के स्त्री पुरुष उस सिंहवाहिनी की पूजा-अर्चना करते रहे ।
महिषासुर के वध से प्रफुल्लित होकर उन्होंने कन्याओं को खिला-पिलाकर दान-दक्षिणा दी । इसी परम्परा का निर्वाह नवरात्रों में आज भी किया जाता है । इस कथा को मान लेने के बाद भी यह प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है कि इन दिनों में जौ के बीज बोने-उगाने का आखिर क्या अर्थ एवं प्रयोजन है? , इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए हमें मानव की विकास-यात्रा के सुदूर अतीत के अध्यायों को छानना होगा ।
नृतत्व वेत्ता एवं समाज-शास्त्री यह तथ्य निभ्रान्त रूप से स्वीकार करते हैं कि आदि काल में मानव समाज या तो पहाड़ी कन्दराओं में या फिर वृक्षों की डालियों पर रहा करता था । इसी प्रकार या तो वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपना पेट पाला करता था या फिर वृक्षों पर उगे फल-फूल खाकर गुजर-बसर किया करता था । फल खाने के बाद बीज आस-पास फेंक देता । समय पाकर धरती की माटी में मिल वर्षा-पानी पाकर प्राकृतिक नियम से वे बीज फिर से उगकर वृक्ष का रूप धारण कर लेते और फल-फूल देने लगते ।
इस प्राकृतिक प्रक्रिया ने आदि मानव को चकित-विस्मित किया, फिर कुछ बौद्धिक विकास हो जाने पर स्वयं फसलें उगाने की प्रेरणा-प्रोत्साहन दिया । सो घरों पर रहने वाली औरतों ने कुछ बीज माटी कुरेद कर उसमें बी दिए, जो मात्र नौ दिन में ही सभी को चकित करते हुए अंकुरित हो उठे । यह देख कर नारियाँ तो प्रसन्नता से नतमस्तक हो नाच ही उठीं, पुरुष समाज भी भाव विभोर हुए बिना न रह सका ।
Answer:
Navaratri[a] is a Hindu festival that spans nine nights (and ten days) and is celebrated every year in the autumn. It is observed for different reasons and celebrated differently in various parts of the Indian cultural sphere.[3][1] Theoretically, there are four seasonal Navaratri. However, in practice, it is the post-monsoon autumn festival called Sharada Navaratri that is the most observed in the honor of the divine feminine Devi (Durga). The festival is celebrated in the bright half of the Hindu calendar month Ashvin, which typically falls in the Gregorian months of September and October.[3][4]
Navaratri
Navratri Navaratri festival preparations and performance arts collage.jpg
Navratri celebrates either Durga or Rama victory over an evil demon, depending on the region[1]
Also called
Navratri, Nauratri, Navarathri, Navratam, or Nauratam
Observed by
Hindus
Celebrations
9 days
Observances
stage setting, prayers, plays, fasting, puja, image immersion or bonfire
Begins
Ashvin Shukla Prathama
Ends
Ashvin Shukla Navami
2018 date
10 Oct, Wed – 18 Oct, Thu
(Vijayadashami: 19 Oct, Fri)
2019 date
29 Sep, Sun – 8 Oct, Tue [2]
(Vijayadashami: 8 Oct, Tue)
Frequency
Biannual
Related to
Dussehra, Dashain
In the eastern and northeastern states of India, the Durga Puja is synonymous with Navaratri, wherein goddess Durga battles and emerges victorious over the buffalo demon to help restore Dharma. In the northern and western states, the festival is synonymous with "Rama Lila" and Dussehra that celebrates the battle and victory of god Rama over the demon king Ravana.[1] In southern states, the victory of different goddesses, of Rama or Saraswati is celebrated. In all cases, the common theme is the battle and victory of Good over Evil based on a regionally famous epic or legend such as the Ramayana or the Devi Mahatmya.[3][4]
Celebrations include stage decorations, recital of the legend, enacting of the story, and chanting of the scriptures of Hinduism. The nine days are also a major crop season cultural event, such as competitive design and staging of pandals, a family visit to these pandals and the public celebration of classical and folk dances of Hindu culture.[5][6][7] On the final day, called the Vijayadashami or Dussehra, the statues are either immersed in a water body such as river and ocean, or alternatively the statue symbolizing the evil is burnt with fireworks marking evil's destruction. The festival also starts the preparation for one of the most important and widely celebrated holidays, Diwali, the festival of lights, which is celebrated twenty days after the Vijayadashami or Dussehra or Dashain