essay on New Year in hindi
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भारतवर्ष ने विश्व को काल गणना का अद्वितीय सिद्धांत प्रदान किया है । सृष्टि की संरचना के साथ ही ब्रह्माजी ने काल चक्र का भी निर्धारण कर दिया । ग्रहों और उपग्रहों की गति का निर्धारण कर दिया ।
चार युगों की परिकल्पना, वर्ष मासों और विभिन्न तिथियों का निर्धारण काल गणना का ही प्रतिफल है । यह काल कल्पना वैज्ञानिक सत्यों पर आधारित है । मनुष्य ने काल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने के उद्देश्य से कालचक्र को नियन्त्रित करने का भी प्रयास किया । उसने विक्रम संवत्, शक-संवत्, हिजरी सन्, ईसवी सन आदि की परिकल्पना की ।
जैन और बौद्ध मतावलंबियों ने अपने-अपने ढंग से काल गणना के सिद्धान्त बनाये । हमारे देश में नव संवत्सर का प्रारम्भ विक्रम संवत् के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से स्वीकार किया जाता है और पाश्चात्य दृष्टि से पहली जनवरी को नव वर्ष का शुभारम्भ होता है । अत: हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना होगा ।
भारतीय मतानुसार महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रारम्भ किया था । इसकी गणना चन्दन के आधार पर की जाती है । इसी दिन से नवरात्र का प्रारम्भ होता है । इस दिन मंदिरों और घरों में घट स्थापित किए जाते हैं । जी बोए जाते हैं और नौ दिन पश्चात् पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं ।
गृहस्थ लोग इन दिनों मांगलिक कार्यों का आयोजन करते हैं । गृह-प्रवेश, लगन-सगाई और विवाह आदि के लिए यह समय सर्वोत्तम समझा जाता है । अनेक आस्तिक लोग रामायण-पाठ का आयोजन करते हैं । व्यापारी लोग नये बही खाते प्रारम्भ करते हैं । नई दुकानों और व्यापारिक संस्थानों की स्थापना-उद्घाटन करते हैं ।
कृषकों के लिए रबी की फसल की कटाई का काल प्रारम्भ होता है । नव संवत्सर से ही ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ माना जाता है । पाश्चात्य मतानुसार 31 दिसम्बर को वर्षात की घोषणा के साथ एक जनवरी से नव वर्ष मनाया जाता है ।
आजकल विश्व के अधिकांश देश में एक जनवरी को ही नव वर्ष मनाया जाता है । एक सप्ताह पूर्व क्रिसमस के दिन से ही नव वर्ष के बधाई पत्र भेजे जाते हैं । दीपावली की भांति ही नव वर्ष पर ही अब मिठाइयां देने का प्रचलन बढ़ रहा है । व्यापारिक कम्पनियां नये-नये कलैंडर छपवाती हैं और प्रचारार्थ बांटती है ।
दूरदर्शन से 31 दिसम्बर की रात को अनेक प्रकार के रंगारंग कार्यक्रमों का प्रसारण होता है । सप्ताह भर पहले ही होटलों और रेस्तराँओं में अग्रिम बुकिंग हो जाती है । बड़े-बड़े नगरों में पुलिस को इस दिन व्यापक बन्दोबस्त करना पड़ता है । जैसे ही रात्रि के बारह बजते हैं, नववर्ष की उल्लासमयी घोषणाएं प्रारम्भ हो जाती हैं । युवक-युवतियों के समूह नाचते-गाते, मौज-मस्ती मनाते देखे जाते हैं ।
कुछ लोग मदिरापान करके अभद्र प्रदर्शन करते हुए भी पाये जाते हैं । पुलिस ऐसे लोगों को चेतावनी देकर छोड़ देती है । अश्लील हरकतें करने वालों के चालान भी कर दिए जाते हैं । हमें नव वर्ष का स्वागत भारतीय अथवा अभारतीय किसी भी दृष्टि से करें, हमारे कार्यक्रम शालीन एवं संगत तथा राष्ट्र को जोड़ने वाले होने चाहिए ।
चार युगों की परिकल्पना, वर्ष मासों और विभिन्न तिथियों का निर्धारण काल गणना का ही प्रतिफल है । यह काल कल्पना वैज्ञानिक सत्यों पर आधारित है । मनुष्य ने काल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने के उद्देश्य से कालचक्र को नियन्त्रित करने का भी प्रयास किया । उसने विक्रम संवत्, शक-संवत्, हिजरी सन्, ईसवी सन आदि की परिकल्पना की ।
जैन और बौद्ध मतावलंबियों ने अपने-अपने ढंग से काल गणना के सिद्धान्त बनाये । हमारे देश में नव संवत्सर का प्रारम्भ विक्रम संवत् के आधार पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से स्वीकार किया जाता है और पाश्चात्य दृष्टि से पहली जनवरी को नव वर्ष का शुभारम्भ होता है । अत: हमें दोनों ही दृष्टि से इस विषय पर विचार करना होगा ।
भारतीय मतानुसार महाराज विक्रमादित्य ने विक्रम संवत का प्रारम्भ किया था । इसकी गणना चन्दन के आधार पर की जाती है । इसी दिन से नवरात्र का प्रारम्भ होता है । इस दिन मंदिरों और घरों में घट स्थापित किए जाते हैं । जी बोए जाते हैं और नौ दिन पश्चात् पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं ।
गृहस्थ लोग इन दिनों मांगलिक कार्यों का आयोजन करते हैं । गृह-प्रवेश, लगन-सगाई और विवाह आदि के लिए यह समय सर्वोत्तम समझा जाता है । अनेक आस्तिक लोग रामायण-पाठ का आयोजन करते हैं । व्यापारी लोग नये बही खाते प्रारम्भ करते हैं । नई दुकानों और व्यापारिक संस्थानों की स्थापना-उद्घाटन करते हैं ।
कृषकों के लिए रबी की फसल की कटाई का काल प्रारम्भ होता है । नव संवत्सर से ही ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ माना जाता है । पाश्चात्य मतानुसार 31 दिसम्बर को वर्षात की घोषणा के साथ एक जनवरी से नव वर्ष मनाया जाता है ।
आजकल विश्व के अधिकांश देश में एक जनवरी को ही नव वर्ष मनाया जाता है । एक सप्ताह पूर्व क्रिसमस के दिन से ही नव वर्ष के बधाई पत्र भेजे जाते हैं । दीपावली की भांति ही नव वर्ष पर ही अब मिठाइयां देने का प्रचलन बढ़ रहा है । व्यापारिक कम्पनियां नये-नये कलैंडर छपवाती हैं और प्रचारार्थ बांटती है ।
दूरदर्शन से 31 दिसम्बर की रात को अनेक प्रकार के रंगारंग कार्यक्रमों का प्रसारण होता है । सप्ताह भर पहले ही होटलों और रेस्तराँओं में अग्रिम बुकिंग हो जाती है । बड़े-बड़े नगरों में पुलिस को इस दिन व्यापक बन्दोबस्त करना पड़ता है । जैसे ही रात्रि के बारह बजते हैं, नववर्ष की उल्लासमयी घोषणाएं प्रारम्भ हो जाती हैं । युवक-युवतियों के समूह नाचते-गाते, मौज-मस्ती मनाते देखे जाते हैं ।
कुछ लोग मदिरापान करके अभद्र प्रदर्शन करते हुए भी पाये जाते हैं । पुलिस ऐसे लोगों को चेतावनी देकर छोड़ देती है । अश्लील हरकतें करने वालों के चालान भी कर दिए जाते हैं । हमें नव वर्ष का स्वागत भारतीय अथवा अभारतीय किसी भी दृष्टि से करें, हमारे कार्यक्रम शालीन एवं संगत तथा राष्ट्र को जोड़ने वाले होने चाहिए ।
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New year celebrations, means to welcome the new year, and gives farewell to old year. Actually, 1st January is first day of new year, but it is grandly celebrated in the night of 31st December at 12 : 00.
When coming to my way of celebrating it, I am celebrating it with a great joy. I'm taking a resolution ever year and follow them too.
Thanks for the question !
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