essay on nossrg paryatan in marathi language in about 750 words
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पर्यटन का दूसरा लाभ है – देश विदेश की जानकारी | इससे हमारा ज्ञान समृद्ध होता है | पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावी नहीं होता जितना कि प्रत्यक्ष ज्ञान | पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहान-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है | इससे हमारे मन में बैठ हुए कुछ अंधविश्वाश टूटते हैं | हमें यह विश्वास होता है – विश्व – भर का मानव मूल रूप से एक है | हमारी आपसी दूरियाँ कम होती हैं | मन उदार बनता है | पूरा देश और विश्व अपना-सा प्रतीत होता है | राष्ट्रिय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है |देशाटन मानव की स्वाभाविक प्रवृति है। देश-विदेश भ्रमण की प्रवृति मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आधुनिक युग में देशाटन की उपयोगिता अन्य कई दृष्टियों से भी स्थापित हो चुकी है। देशाटन का उद्देश्य मात्र मन की शांति ही नहीं है बल्कि आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षिणक लाभ के उद्देश्य से भी लोग देश-देशान्तरों की यात्रा करते हैं। यही कारण है कि आधुनिक युग में व्यक्तिगत रूप के अतिरिक्त राजकीय अथवा राष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में भी यात्रा के अवसर प्राप्त होते हैं।
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