Hindi, asked by adityapatraap2392, 1 year ago

Essay on old people in hindi

Answers

Answered by rakshit314
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Answer:

वृद्धावस्था का वास्तविक काल मानसिक रूप से कब प्रारम्भ होता है यह एक संदेहात्मक प्रश्न है, क्योंकि व्यक्ति की आत्म-शक्ति से इसका गहन सम्बन्ध होता है । अनेक बार व्यक्ति अवस्था उम्र से पूर्व से वृद्ध दिखाई देने लगता है या अनेक बार व्यक्ति अपनी अधिक उम्र होने के पश्चात् भी चुस्त-दुरुस्त दिखाई पड़ता है ।

अत: निश्चित तौर पर इस अवस्था के विषय में कुछ भी कहने से उत्तम होगा कि सामान्यतया यह अवस्था 60 वर्ष से शुरू होकर जीवन के अन्तिम काल तक की अवस्था के रूप में जानी जाती है । इस अवस्था में व्यक्ति में शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार से क्षीणता उत्पन हो जाती है, उसे नयी-नयी चुनौतियों के रूप में अनेक परिस्थितियों से सामना करना पड़ता है ।

उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य में गिरावट (Feeling of Health) सेवानिवृत्ति (Retirement), आमदनी में कमी (Less Income), पारिवारिक जिम्मेदारियाँ (Responsibility) आदि सम्मिलित हैं ।

Explanation:

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Answered by mansi440
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वृद्धावस्था (Old Age):

हरलॉक के अनुसार, ”यह अवस्था जीवन विस्तार की अंतिम अवस्था है ।” उनके अनुसार, साठ वर्ष से अधिक की आयु के लोग वृद्ध कहे जाते हैं । उन्होंने आगे कहा कि साठ वर्ष की आयु प्रौढ़ व वृद्ध के बीच की मध्यम रेखा है ।

इस समय व्यक्ति अपने पूर्व जीवन की अत्याधुनिक वांछित आकांक्षाओं से धीरे-धीरे दूर होने लगता है तथा अपने जीवन के बीते दिनों की उपलब्धियों को याद करके जीवन यापन शुरू करता है और अपने जीवन के शेष दिनों को जीने के लिए स्वयं को तैयार करता है; जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है, उसके व्यवहार में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है तथा वह छोटे बालकों के समान व्यवहार करना प्रारम्भ कर देता है ।

वृद्धावस्था का समय (Time of Old Age):

वृद्धावस्था का समय इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति कितने समय तक जीवित रहता है । इस अवस्था में आयु बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति की शक्ति, स्फूर्ति व काम करने की क्षमता भी धीमी पड़ने लगती है ।



ऐसा भी देखा गया है कि कई बार व्यक्ति अपनी योग्यता व कौशल से इस आयु में हुए ह्रास की क्षतिपूर्ति आसानी से कर लेता है; जैसे: स्कूटर या कार को वह धीमी गति से चलाकर दुर्घटना से बच सकता है ।

वृद्धावस्था में ह्रास: (Decline in Old Age):

व्यक्ति में जब ह्रास की गति तीव्र होती है, उस स्थिति में मनुष्य शारीरिक व मानसिक रूप से टूट जाता है या कमजोर हो जाता है तथा क्षतिपूर्ति करने में असमर्थ होता है, उस काल को जरावस्था कहते हैं ।

ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति में जरावस्था कब आएगी, इसका समय निर्धारित करना अत्यंत कठिन है । कभी-कभी जराग्रस्त होने से पूर्व ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है । अत: यह अवस्था भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न समय पर शुरू होती है ।

जैसे विकास का नियम हर व्यक्ति पर एक-सा लागू नहीं होता वैसे ही ह्रास का प्रतिमान भी सभी वृद्धों पर एक-सा लागू हो कोई जरूरी नहीं है । इसके साथ-साथ इस अवस्था के लक्षण भी सभी वृद्धों में पाये जायें यह आवश्यक नहीं है और यह भी आवश्यक नहीं कि वे प्रारम्भिक लक्षण कहे जा सकें ।


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