essay on p n panicker puthu vayil in hindi
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पैनिकर का जन्म 1 मार्च, 1909 को हुआ था। वह एक शिक्षक थे। उनका समाज पर काफी प्रभाव था। 1945 में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों के साथ तिरुविथामकूर ग्रंथशाला संघम (त्रावणकोर लाइब्रेरी असोसिएशन) की स्थापना की गई। लाइब्रेरी की स्थापना की मुहिम का नेतृत्व उन्होंने किया। असोसिएशन का नारा था 'पढ़ो और बढ़ो'। बाद में केरल राज्य के गठन के बाद असोसिएशन का नाम केरल ग्रंथशाला संघम हो गया। उन्होंने केरल के गांव-गांव की यात्रा की और लोगों को पढ़ने के महत्व से अवगत कराया। इस तरह उन्होंने अपने नेटवर्क में 6,000 से ज्यादा पुस्तकालयों को जोड़ने में सफलता हासिल की। 1975 में ग्रंथशाला को 'कृपसकय अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया। 32 सालों तक पैनिकर संघम के जनरल सेक्रटरी रहे। फिर बाद में उस संस्था को सरकार ने अपने अधीन ले लिया। बाद में इसका नाम केरल स्टेट लाइब्रेरी काउंसिल हो गया।