essay on pahiye ki atmakatha in hindi
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मैं एक पहिया हूँ। सबसे पहले
मैं एक लोहार के पास था। उसने मुझे ये गोल आकार दिया। उसके बाद उसने मुझे रबर की
दुकान में भेजा। वहां एक कारीगर ने मेरी नाप ली और मेरे बराबर का एक गोल रबर बनाया।
उसने वह रबर मेरे स्टील के फ्रेम पर चढ़ाया।
उसके बाद मेरा मालिक मुझे एक कारखाने में ले गया। उस कारखाने के मालिक ने कुछ पैसे देकर मुझे खरीद लिया। उसने मुझे अन्य पहियों के साथ रख दिया। मैंने देखा कि वहां पर मेरे जैसे और अनेक पहिये थे। मेरी उनसे दोस्ती हो गयी।
रात को हमलोगों ने खूब इधर उधर दौड़ लगाई और खेल खेले। सुबह मालिक ने आकार चार पहियों को चुना। उनमें से मैं भी एक था। हम लोग बहुत खुश हुए कि हम लोगों को बाहर घूमने का अवसर मिलेगा। उसने हमलोगों को एक कार में फिट कर दिया। जब कार चलने लगी तो वह हमलोगों को देखकर बहुत खुश हुआ।
उसके बाद से मैं अपने साथियों के साथ इस कार में लगा हुआ हूँ। हमें प्रतिदिन सैर करने का अवसर मिलता है और हम बहुत खुश रहते हैं।
उसके बाद मेरा मालिक मुझे एक कारखाने में ले गया। उस कारखाने के मालिक ने कुछ पैसे देकर मुझे खरीद लिया। उसने मुझे अन्य पहियों के साथ रख दिया। मैंने देखा कि वहां पर मेरे जैसे और अनेक पहिये थे। मेरी उनसे दोस्ती हो गयी।
रात को हमलोगों ने खूब इधर उधर दौड़ लगाई और खेल खेले। सुबह मालिक ने आकार चार पहियों को चुना। उनमें से मैं भी एक था। हम लोग बहुत खुश हुए कि हम लोगों को बाहर घूमने का अवसर मिलेगा। उसने हमलोगों को एक कार में फिट कर दिया। जब कार चलने लगी तो वह हमलोगों को देखकर बहुत खुश हुआ।
उसके बाद से मैं अपने साथियों के साथ इस कार में लगा हुआ हूँ। हमें प्रतिदिन सैर करने का अवसर मिलता है और हम बहुत खुश रहते हैं।
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