Essay on paropakar in hindi. fast!! please
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परोपकार सब्द का मतलब औरो का उपकार है| हमारी ज़िंदगी में परोपकार का बारे ही महत्वपूर्ण स्थान है| यहाँ तक की प्रकृति भी हमें परोपकार का उदाहरण देती है|
कहा भी गया है-
वृक्ष कभू फल भाखे, नदी न संचय नीर,
परमराय के करने, साधु न धरा शरीर |
वृक्ष कभी अपने फल नहीं सवरता है, बाल्टी हमे प्रदान करता है. नदी अपना शीतल जल हमे प्रदान करती है | धरती हमे अपने कोख में धारण की हुयी है |यह सब परोपकार ही तो है |
जब प्रकृति ने ही हमे इतने उदाहरण दिए है तो हम कैसे पीछे रहे. रूज़मार्य की ज़िंदगी में हज़ारो लोग परोपकार करते दिखाई देते है | किसान हमारे लिए फसल बोटा है, सैनिक देश की रक्षा करते है, वैज्ञानिक नयी खोजे कर हमे और वैज्ञानिक तौर से उन्नत करता है | बिना परोपकार के ज़िंदगी का मतलब ही क्या है? स्वामी विवेकानंदा, गंडझी, रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान आत्माए परोपकार के गन का अपने जीवन में प्रयोग किया है, तभी वे आज पूजनीय है |
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई
परपीड़ा नहीं अधमाई”
कहा भी गया है-
वृक्ष कभू फल भाखे, नदी न संचय नीर,
परमराय के करने, साधु न धरा शरीर |
वृक्ष कभी अपने फल नहीं सवरता है, बाल्टी हमे प्रदान करता है. नदी अपना शीतल जल हमे प्रदान करती है | धरती हमे अपने कोख में धारण की हुयी है |यह सब परोपकार ही तो है |
जब प्रकृति ने ही हमे इतने उदाहरण दिए है तो हम कैसे पीछे रहे. रूज़मार्य की ज़िंदगी में हज़ारो लोग परोपकार करते दिखाई देते है | किसान हमारे लिए फसल बोटा है, सैनिक देश की रक्षा करते है, वैज्ञानिक नयी खोजे कर हमे और वैज्ञानिक तौर से उन्नत करता है | बिना परोपकार के ज़िंदगी का मतलब ही क्या है? स्वामी विवेकानंदा, गंडझी, रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान आत्माए परोपकार के गन का अपने जीवन में प्रयोग किया है, तभी वे आज पूजनीय है |
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई
परपीड़ा नहीं अधमाई”
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