Hindi, asked by ujju9535, 1 year ago

essay on paropkar (charity) in hindi about 1-2 A4 sheet page........

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Answered by loga2004
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परोपकार शब्द का अर्थ है दूसरों का उपकार यानि औरों के हित में किया गया कार्य. हमारी ज़िंदगी में परोपकार का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. यहाँ तक कि प्रकृति भी हमें परोपकार करने के हजारों उदाहरण देती है जैसा कि इस दोहे में भी बताया गया है कि :-
“वृक्ष कभू नहीं फल भखे, नदी न संचय नीर,
परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर”
वृक्ष अपने फल स्वयं कभी नहीं खाते, नदियां अपना जल स्वयं कभी नहीं इकठ्ठा करती, इसी प्रकार सज्जन पुरुष परमार्थ के कामों यानि परोपकार के लिए ही जन्म लेते हैं.
हमें भी प्रकृति से प्रेरणा लेकर ऐसे कार्य करने चाहिए जिनसे किसी और का भला हो. अपने लिए तो सभी जीते हैं किन्तु वह जीवन जो औरों की सहायता में बीते, सार्थक जीवन है.
उदाहरण के लिए किसान हमारे लिए अन्न उपजाते हैं, सैनिक प्राणों की बाजी लगा कर देश की रक्षा करते हैं. परोपकार किये बिना जीना निरर्थक है. स्वामी विवेकानद, स्वामी दयानन्द, गांधी जी, रविन्द्र नाथ टैगोर जैसे महान पुरुषों का जीवन परोपकार की एक जीती जागती मिसाल है. ये महापुरुष आज भी वंदनीय हैं.
तुलसीदास जी ने कहा है कि :-
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई”
Answered by shrishras
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Answer:

परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना गया है । व्यास जी ने परोपकार को अठारहों पुराणों का निचोड़ बताया है । अपनी भलाई के बारे में तो हर कोई सोचता है, महान वही है जो दूसरों की भलाई सोचता है । वही बड़ा है जो सारे संसार को खुश देखना चाहता है । अपने पड़ोसियों, अपने समाज को खुशहाल और प्रसन्न देखने वाला परोपकारी होता है । वह अपनी हित-चिंता के साथ-साथ दूसरों की हित-चिंता भी करता है ।

वह समाजोपयोगी कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है । वह जनकल्याण के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहता है । परोपकार वह गुण है जिसे अपनाकर व्यक्ति को मानसिक सुख एवं संतुष्टि प्राप्त होती है । समाज परोपकारी व्यक्ति को युगों-युगों तक याद रखता है, संसार उसकी जय-जयकार करता है । इसलिए हमें परोपकार के गुण को धारण करने के लिए तत्पर रहना चाहिए ।

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