essay on paropkar in hindi 200 words
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प्रस्तावना:- परोपकार शब्द ‘पर + उपकार‘ दो शब्दों के मेल से बना है। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों की सहयता करना। परोपकार की भावना मानव को इंसान से फरिश्ता बना देती है। यथार्थ में सज्जन दूसरों के हित साधन में अपनी संपूर्ण जिंदगी को समर्पित कर देते है। परोपकार के समान कोई धर्म नहीं। मन, वचन और कर्म से परोपकार की भावना से कार्य करने वाले व्यक्ति संत की श्रेणी में आते है। ऐसे सत्पुरुष जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों पर उपकार करते है वे देवकोटि के अंतर्गत कहे जा सकते है। परोपकार ऐसा कृत्य है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है।
परोपकार की महत्वता:- जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है। समाज में परोपकार से बढकर कोई धर्म नहीं होता । ईश्वर ने प्रकृति की रचना इस तरह से की है कि आज तक परोपकार उसके मूल में ही काम कर रही है। परोपकार प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है। जिस तरह से वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाता है, नदी अपना पानी नहीं पीती है, सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता है। परोपकार एक उत्तम आदर्श का प्रतीक है। पर पीड़ा के समान कुछ भी का अधम एवं निष्कृष्ट नहीं है।
गोस्वामी तुलसीदास ने परोपकार के बारे में लिखा है.
“परहित सरिस धर्म नहिं भाई।
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।”
दूसरे शब्दों में, परोपकार के समान कोई धर्म नहीं है। विज्ञान ने इतनी उन्नति कर ली है कि मरने के बाद भी हमारी नेत्र ज्योति और अन्य कई अंग किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाने का काम कर सकते है। इनका जीवन रहते ही दान कर देना महान उपकार है। परोपकार के द्वारा ईश्वर की समीपता प्राप्त होती है। इस प्रकार यह ईश्वर प्राप्ति का एक सोपान भी है।
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Explanation:
propkar ka matlab kisi ke upar upkar karna . hame sabhi ke uper propkar karna chaiya . propkar karne se hame dusro ka aashish prapt hota h .ath hame apne bhiter propkar ki bhawna rakhni chiya .