Essay on Paryavaran ka mahatva
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पर्यावरण का महत्व| paryavaran ka mahatv. Importance of Environment
परि +आवरण अर्थात हमारे चारों ओर का आवरण जो हमे सुरक्षित घेरे में रखता है| पर्यावरण वो नि:स्वार्थ दाता है जो सर्वदा देता है चाहे वो घने वृक्ष हो जो हमें छाया, फल-फूल और ओषधि देते हैं| चाहे इन पर आश्रित पशु-पक्षी जो हमें जीवन जीने के उपयोगी साधन जैसे दूध, खाल, सवारी की सुविधा आदि देते हैं| ऋतु परिवर्तन हमारे जीवन की एकरसता को समाप्त करता है| वहीँ नयी फसलें हमारे लिए पौष्टिक भोजन जुटाती है| शाक- सब्जी हमें पुष्ट बनाती है| मानव जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत पर्यावरण के सुरक्षा चक्र में रहता है और बिना कोई मूल्य चुकाए इसकी सभी सुविधाओं का निर्बाध रूप से प्रयोग करता है| पर हमारा दुर्भाग्य! हम स्वयं ही मतिभ्रष्ट होकर पर्यावरण का दोहन कर रहे है जिससे हम अपने विनाश को स्वयं आमंत्रित कर रहे है| पेड़ काटने से ओजोन परत को नुकसान पहुच रहा है जिसके परिणतिस्वरूप सूर्य की पराबैंगनी किरणें हमारे लिए खतरा बनती जा रही है| वैश्विक तापमान वृद्धि और ग्लेशियर पिघलना भी अशुभ संकेत है| भूजल का दोहन भी पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है जिससे वर्षा कम या ज्यादा हो रही है| अत: : अब समय आ गया है कि हम संकल्प लें कि हम यथासंभव प्रकृति की सुरक्षा करेंगे| इसे नष्ट होने से बचायेंगे| वृक्ष लगाकर उनकी नियमित देखभाल करेंगे| पानी बचायेंगे| पर्यावरण का महत्व सबको समझायेंगे|
Answer:
पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं । जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं प र्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रित है।