Hindi, asked by vilorina839, 1 year ago

Essay on pashu pakshiyon se prem karo 500 words

Answers

Answered by vishalkohli42
3
hame pashu pakahiyon se Pyar Karna chaiye
Answered by afifahbeig1803
3

मानव की मूल पृकृति स्वार्थ साधना है| वहीँ पशु-पक्षी निरीह होते है| स्नेह मिलने पर वे मानव को अपना परम मित्र मानते है और आवश्यकता पड़ने पर उसके सहयोगार्थ प्राण तक न्यौछावर कर देते है| कुत्ते की स्वामिभक्ति प्रसिद्ध है| दुधारू पशु अपने बच्चोंको दूध से वंचित करके हमें दूध देते है| विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी अपनी मधुर वाणी और सौन्दर्य से हमारा मनोरंजन करते है| अपने स्वार्थ में मानव इतना अँधा हो जाता है कि वो स्वछन्द विचरते पशु-पक्षियों को कैद करके सर्कस में करतब दिखा ता है| चिड़ियाघर में उन्हें कैद करके पैसा वसूलता है| ट्रेनिंग के नाम पर उन पशु-पक्षियों को मार-पीटकर करतब सिखाये जाते है| चाहे उन्हें भरपेट खाना न मिले मनुष्य अपनी कमाई बढ़ा लेता है| ऐसे अनेकों उदाहरण मिलते है कि अपने मालिक की प्राणरक्षार्थ उसके पालतू कुत्ते या बिल्ली या अमुक जानवर ने अपने प्राण दे दिए| इतिहास में भी महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक, हाथी रामप्रसाद,कर्णसिंह के घोड़े शुभ्रक का प्रसंग आता है| पशु-पक्षी ने सर्वदा स्नेह और लाभ दिया हा वहीं मनुष्य ने उनसे सिर्फ लिया ही है| सवारी के लिए घोड़े, हाथी , गधे, बैल, खच्चर आदि का उपयोग किया है| वजन उठाने के लिए इनका प्रयोग किया है| पूर्व में यही पशु गाड़ी में जोते जाकर आवागमन के साधन थे| गाय को अत्यंत पवित्र मानकर माता की पदवी दी जाती है| वर्तमान में हालात इतने शोचनीय है कि इन्हीं गायों बछड़ो को बूचडखाने में कत्लेआम किया जाता है| पक्षियों का चोरी-छिपे शिकार किया जाता है| राजस्थानमे चिंकारा हिरन को मारने के अभियोग में हाल ही में अभिनेता सलमान खान को बरी कर दिया गया| राष्ट्रीय पशु बाघ और पक्षी मोर तो मानो शिकारियों की पहली पसंद है|

अगर इसी गति से पशु-पक्षियों की अनदेखी होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी आगामी पीढ़ी को ये जानवर चित्रों में या विडियो रेकोर्डिंग में दिखायेंगे| मकर संक्रांति पर हजारों पक्षी पतंग के धारदार धागे से कटकर अपनी जान गंवा बैठते है| बकरीद पर क़ुरबानी के नाम पर असंख्य बकरे काटे जाते है| कभी कोई जानवर मानव को नुकसान नहीं पहुचाता| वो मानव पर सिर्फ अपनी प्राण की रक्षा के समय आक्रमण करता है| फिर भी मानव उन्हें प्रेम देने के बजाय प्रताड़ना देता है जो अत्यंत अमानवीय है| अत: सार रूप में कहा जा सकता है कि पशु-पक्षियों से प्रेम करना चाहिए| उनका उपयोग अवश्य करें पर अपनी मानवीय संवेदनाओ को जिन्दा रखते हुए| वे भी ईश्वर की ही रचना है अत: उनके साथ बर्बर व्यवहार न करे| अपनी आय का कुछ हिस्सा उनके दाने-पानी पर खर्च करें और अपना कुछ समय उनके सानिध्य में बिताये| इससे हमारा मानसिक और भावनात्मक संतुलन बरकरार रहेगा|

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