Essay on plastic ki Doniya
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पर्यावरण विमर्श जीवन जल, वायु तथा मृदा पर आधारित है और ये तीनों मिलकर जीवन के लिए संपूर्ण पारिस्थितिकी-तंत्र का निर्माण करते है, किंतु मानव के लिए, किसी भी कीमत पर सफलता अर्जित करना ही एकमात्र उद्देश्य बन गया है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह जीवन के आधारभूत मूल तत्वों से खिलवाड़ करने लगा है, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिकी तंत्र में ऐसे तत्वों का प्रवेश हो गया है, जो एक दिन मानव जीवन को ही नष्ट कर देंगे।
आधुनिक समाज में प्लास्टिक मानव-शत्रु के रूप में उभर रहा है। समाज में फैले आतंकवाद से तो छुटकारा पाया जा सकता है, किंतु प्लास्टिक से छुटकारा पाना अत्यंत कठिन है, क्योंकि आज यह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु बन गया है। गृहोपयोगी वस्तुओं से लेकर कृषि, चिकित्सा, भवन-निर्माण, विज्ञान सेना, शिक्षा, मनोरंजन, अंतरिक्ष, अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सूचना प्रौद्योगिकी आदि में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है।
प्लास्टिक एक ग्रीक शब्द प्लास्टीकोस से बना है, जिसका सीधा तात्पर्य है आसानो से नमनीय पदार्थ जो किसी आकार में ढाला जा सके। 1970 के दशक में इसका उपयोग औद्योगिक तथा घरेलू क्षेत्र में अप्रत्याशित रूप से बढ़ा। सस्ता, हल्का, ताप-विद्युत, कंपन-शोर प्रतिरोधी तथा कम जगह घेरने वाला पदार्थ होने के कारण औद्योगिक कार्यों में धातुओं की जगह इसने ले ली। साथ ही, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, कृषि उपकरण तथा अन्यान्य आवश्यक कार्यों में भी प्लास्टिक को प्रतिनिधित्व मिला। विश्व में औसतन प्लास्टिक की खपत 15 किलो/ प्रतिव्यक्ति की तुलना में भारत में यह खपत लगभग प्रति व्यक्ति लगभग 1 किलो है। इस तरह विश्व की तुलना में यह खपत भारत में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत है। इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट जिसमें EPOXY,प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, चप्पल, टी.वी., कैबिनेट, टेपरिकॉर्डर के गियरबॉक्स, प्रकाश करने वाले स्रोत, बटन इत्यादि शामिल हैं। भारत में प्रतिवर्ष करीब 700 टन निकलता है, जबकि ऐसे प्लास्टिक अपशिष्ट की मात्रा विश्व में 7000 टन है।
अपनी विविध विशेषताओं के कारण प्लास्टिक आधुनिक युग का अत्यंत महत्वपूर्ण पदार्थ बन गया है। टिकाऊपन, मनभावन रंगों में उपलब्धता और विविध आकार-प्रकारों में मिलने के कारण प्लास्टिक का प्रयोग आज जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है। बाजार में खरीदारी के लिए रंग-बिरंगें कैरी बैग से लेकर रसोईघर के बर्तन, कृषि के उपकरण, परिवहन वाहन, जल-वितरण, भवन, रक्षा उपकरण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सहित अनेक क्षेत्रों में आज प्लास्टिक का बोलबाला है। यही नहीं वैज्ञानिकों ने मनुष्य का जो कृत्रिम हृदय बनाया है, वह भी प्लास्टिक से ही बनाया गया है।
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