essay on plastic paryavaran ke liye khatra
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Plastic paryavaran ke liye khatra
Aj Plastic paryavaran au rsamaj ke liye sabse badi chunoti ban gya hai . Jaisa ki hum jaante hai Plastic kabhi khatam nhi hota .Sabhi cheeje jammen ke neeche dab kr 1000 saalo mai mitti mai mil jaati hai lekin Plastic waisa ka waisa rahta hai .isliye aur bhi badi samsya ban gya hai . Charo aur kachre ked her aur unse jhankta plastic ka kooda karkat aane wali peedhi ke liye sardard ban raha hai . isme mile rasaayan aur anya padaarth bahut ki khatarnaak hai bachho aur boodhho ke liye . Jaha tak ho hum plastic ka pryof band kre aur kapde yaa kagaj ki thaili ka prayog kre . Au rho sake plastic ka punrikaarn kre . use gala karunya roopo mai badle taaki kam se kam kachra faile aur paryawaran ko aur nuksaan naa ho aage . Kam prayog kre aur baar baar prayog kre. Jab tak ki toot yaa purantya kharab naa ho jaaye . Phir naya naa khaaride isski kosish kre. Jo bach gya uska punah naye roop mai dhaale aur kaam le . Dharti par nayaavshyaak bojh naa badhaaye kachre ka . Hamare fenke gye plastic jaanwar khaa lete aur unki aant mai jama ho jaate hai jis se wo mar jaate hai yaa beemar pad jaate .. Vayrath fekaa gya kachra galiyo mai naaliyo ko jam krta hai aur durgandh badhata hai . Plastic aag bhadkaane mai bhi sahayak hota hai issliye kul mila kar plastic Sastaa hai par desh , samaj , paryawaran aur aanewali peedhi ke liye bahut hi mehnga saabit hoga . issmai kooi do ray nhi hai . aatav kam se kam prayog re . aur sab se ye hi nivadan kare . kagaj aur kapde ka prayog kre .
प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरा
आज के इस वैज्ञानिक युग में मनुष्य को कई सुख सुविधाएं प्रदान की गई हैं। मनुष्य द्वारा बनाई गई कई चीजों में प्लास्टिक थैली एक ऐसी वस्तु है जो घुड़सवार एवरेस्ट से लेकर सागर की तलहटी तक सर्वत्र खंड है। पर्यटन स्थलों, समुद्री इलाकों, नदी नालों, खेत खलियान भूमि के अंदर-बाहर सब जगह पर आज प्लास्टिक के कैरी बैग भरी मिर्ची है। लगभग तीस दशक पहले इस सूचक ने इतनी अधिक फैलाया है कि आज प्रत्येक उत्पादक प्लास्टिक की थैलियों में मिलता है और घर पहुंचते ही यह थैलियाँ कचरे में संशोधित हो जाती है।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो कि हजारों साल तक ज्यों का त्यों पड़ा रहता है। अन्य पदार्थों की तरह भी घटित नहीं होता है। आज यह प्लास्टिक मानव जीवन के साथ-साथ पर्यावरण के लिए खतरा बन रहा है। हमारे देश भारत में वर्ष 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति दिन 15000 टन प्लास्टिक और निकलता है जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है और पर्यावरण का मानव जीवन के लिए खतरा बन रहा है।
यह प्लास्टिक की थैलियाँ मिट्टी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मारता है जिसका कारण भूमि बंजर हो जाता है। प्लास्टिक नदियों को अवरुद्ध कर देता है और पॉलिथीन के ढेर वातावरण को प्रदूषित करते हैं। प्रायः हम बचे हुए खाद्य पदार्थों को पॉलिथीन में लपेट कर फेंक देते हैं, जिसे पशु ऐसे ही खा लेते हैं जिससे जानवर के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यहाँ तक कि उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
आज विश्व का हर देश प्लास्टिक प्रदूषण की विनाशकारी समस्याओं से जूझ रहा है। हमारे देश का शहरी वातावरण प्लास्टिक प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। शहरों में पशु पक्षी प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करने की वजह से मौत के मुंह में जा रहे हैं।
घुज्ञनील ना होने के कारण पानी में नष्ट नहीं होता है और जल प्रदूषण को बढ़ावा देता है। ऐसा प्रदूषित जल मक्खियों, मच्छर और जहरीले कीटाणु को उत्पन्न करता है जो मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों को फैलते हैं। प्लास्टिक की थैलियां या अन्य प्लास्टिक के सम्मान को फेंके और जलाने दोनों से ही पर्यावरण प्रदूषित होता है।
आज प्लास्टिक का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में किया जा रहा है जिसके कारण प्रदूषण की समस्या भी गंभीर रूप धारण करती जा रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हम लोगों को ही आगे आना होगा। चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग हो जाए या अशिक्षित अवस्था हो या गरीब शहरी हुए ग्रामीण प्रत्येक वर्ग को प्लास्टिक पॉलिथीन का उपयोग करने से बचना होगा। खरीदारी करते समय अपने साथ कपड़े से बना या जूट का बैग लेकर जाने के लिए लोगों को प्रेरित करना होगा, जिसके प्रयोग से 30 40 साल पहले भी लोगों द्वारा किया गया था। विद्यालय में छात्रों को पेपर या पेपर से लिफाफे बनाना सिखाना चाहिए और प्लास्टिक के प्रभावों से परिचित होना चाहिए। इसी प्रकार उन्हें समाज द्वारा जागरूक करना। प्लास्टिक पोल से लगभग जा सकता है।