Essay on Pustak padhne ka Anand with 400 words
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Heyy mate ❤✌✌❤
Here's your Answer....
किताबी कीड़ा यह ऐसे व्यक्ति के लिए बोला जाता है, जिसे पढ़ने की बहुत धुन होती है। वह स्वयं को किताबों के मध्य प्रसन्न पाता है। उसका उद्देश्य होता है कि वह पढ़ाई मैं सदैव प्रथम आए। इस तरह के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए कहने की आवश्यकता नहीं होती है। वह स्वयं ही पढ़ाई करते हुए दिखाई देते हैं। एक विद्यार्थी के लिए बहुत आवश्यक है कि वह अपने पाठ्यक्रम तथा अन्य ज्ञानवर्धक किताबों का अध्ययन पूरे मन से करे। मन से की गई पढ़ाई उसे सदैव आनंद देती है। यह ऐसा आनंद है, जिसे एक बार प्राप्त हो गया, तो उसे अन्य किसी आनंद की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परन्तु प्राय: विद्यार्थियों में इस प्रकार के आनंद की कमी देखी जाती है। वह अपने पाठ्यक्रम को बड़े दुखी होकर पढ़ते हैं। उनके लिए यह मात्र बोझ है, जो हर वर्ष बदलता रहता है। किताबी कीड़े विद्यार्थी के लिए ऐसा नहीं होता। वह इसे ही आनंद मानता है। यद्पि अधिक पढ़ाई करते रहना भी अच्छा नहीं परन्तु ज्ञान अर्जित करना मनुष्य के लिए फलदायी होता है। बस उसे थोड़ा खेलकूद करके स्वयं को स्वस्थ बनाना भी आवश्यक होता है। पढ़ाई से हमारे जीवन में नए स्त्रोत का आगमन होता है। हमें सही मार्ग मिलता है अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए। आनन्दित होकर की हुई पढ़ाई हमारे अन्तिम समय तक हमारे साथ रहती है। जिससे हम हमारे जीवन में आने वाली कठीन परिस्थितियों में भी अपना भला बुरा बखुबी समझ पाते हैं । और किसी भी मार्ग पर जाने से खुद को रोक पाते हैं। इसलिये हमें आनन्दित होकर पढ़ाई करना चाहिए ना कि उसे बोझ समझकर|
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किताबी कीड़ा यह ऐसे व्यक्ति के लिए बोला जाता है, जिसे पढ़ने की बहुत धुन होती है। वह स्वयं को किताबों के मध्य प्रसन्न पाता है। उसका उद्देश्य होता है कि वह पढ़ाई मैं सदैव प्रथम आए। इस तरह के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए कहने की आवश्यकता नहीं होती है। वह स्वयं ही पढ़ाई करते हुए दिखाई देते हैं। एक विद्यार्थी के लिए बहुत आवश्यक है कि वह अपने पाठ्यक्रम तथा अन्य ज्ञानवर्धक किताबों का अध्ययन पूरे मन से करे। मन से की गई पढ़ाई उसे सदैव आनंद देती है। यह ऐसा आनंद है, जिसे एक बार प्राप्त हो गया, तो उसे अन्य किसी आनंद की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परन्तु प्राय: विद्यार्थियों में इस प्रकार के आनंद की कमी देखी जाती है। वह अपने पाठ्यक्रम को बड़े दुखी होकर पढ़ते हैं। उनके लिए यह मात्र बोझ है, जो हर वर्ष बदलता रहता है। किताबी कीड़े विद्यार्थी के लिए ऐसा नहीं होता। वह इसे ही आनंद मानता है। यद्पि अधिक पढ़ाई करते रहना भी अच्छा नहीं परन्तु ज्ञान अर्जित करना मनुष्य के लिए फलदायी होता है। बस उसे थोड़ा खेलकूद करके स्वयं को स्वस्थ बनाना भी आवश्यक होता है। पढ़ाई से हमारे जीवन में नए स्त्रोत का आगमन होता है। हमें सही मार्ग मिलता है अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए। आनन्दित होकर की हुई पढ़ाई हमारे अन्तिम समय तक हमारे साथ रहती है। जिससे हम हमारे जीवन में आने वाली कठीन परिस्थितियों में भी अपना भला बुरा बखुबी समझ पाते हैं । और किसी भी मार्ग पर जाने से खुद को रोक पाते हैं। इसलिये हमें आनन्दित होकर पढ़ाई करना चाहिए ना कि उसे बोझ समझकर|
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