Hindi, asked by khushi5438, 11 months ago

essay on railway station in hindi​

Answers

Answered by asthakz
0
 { \huge { \boxed {\orange{hello \: babes}}}} \\ \bold \green {YOUR \: ANSWER}

रेल्वे स्टेशन एक महत्वपूर्ण स्थान है । यहां पर रेलगाड़ियां आकर रुकती हैं जिससे की यात्री चढ़-उतर सकें । यहां से माल-असबाब भी इधर-उधर मालगाड़ियों से भेजा जाता है ।

दिन हो या रात, यहां पर हर समय चहल-पहल रहती है क्योंकि गाड़ियां और यात्त्री आते-जाते रहते हैं । यात्रियों का आना-जाना, फरोवालों की, आवाजें, गाड़ियों की गड़गड़ाहट और इंजनों की सीटियां आदि इसे शोरगुल वाला स्थान बना देती हैं । कभी-कभी तो यह शोरगुल और हड़बड़ी बड़ी बढ़ जाती हैं ।

 \large \mathfrak \purple {please \: mark \: brainleast}
Answered by helpmehh
2

\mathfrak{\large{\underline{\underline{FOLLOW\:ME}}}}

\mathcal{\huge{\blue{HEY\:MATE}}}

\mathbb{\huge{\red{ANSWER}}}

रेलवे स्टेशन का दृश्य पर निबंध

रेल्वे स्टेशन एक महत्वपूर्ण स्थान है । यहां पर रेलगाड़ियां आकर रुकती हैं जिससे की यात्री चढ़-उतर सकें । यहां से माल-असबाब भी इधर-उधर मालगाड़ियों से भेजा जाता है ।

दिन हो या रात, यहां पर हर समय चहल-पहल रहती है क्योंकि गाड़ियां और यात्त्री आते-जाते रहते हैं । यात्रियों का आना-जाना, फरोवालों की, आवाजें, गाड़ियों की गड़गड़ाहट और इंजनों की सीटियां आदि इसे शोरगुल वाला स्थान बना देती हैं । कभी-कभी तो यह शोरगुल और हड़बड़ी बड़ी बढ़ जाती हैं ।

रेलवे स्टेशन से सभी परिचित हैं । पिछले रवीवार मुझे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाने का अवसर मिला । वैसे ता मैं वहा कई बार गया हूं, परन्तु अकेले जाने का यह पहला अवसर था । मेरे चाचाजी को कलकत्ता से आना था । उनको लेने मैं वहां गया था । वे पहली बार दिल्ली आ रहे थे ।

स्टेशन के बाहर कारों, टैक्सियों, तिपहियां स्कूटरों, कुलियों, यात्रियों और फेरीवालों की बड़ी भीड़ थी । यात्री अपने सामान के साथ भागते हुए-से लग रहे थे । कुली सामान ले जाने में व्यस्त थे । टिकिट की खिड़कियों पर लम्बी-लम्बी कतारें थीं । अनेक लोग वहां किसी को लेने या छोड़ने आये थे । मैने एक प्लेटफॉर्म टिकिट खरीदा और अंदर चला गया ।

प्लेटफॉर्म टिकिट खरीदने में मुझे लगभग 20 मिनिट लग गये । प्लेटफॉर्म पर अपार भीड़ थी । यहां-वहां कई दुकाने थीं जिन पर पुस्तकें, चाय, मिठाइयां, भोजन, पान-बीड़ी आदि चीजें बिक रही थीं । अनेक फेरी वालें भी थे जो पुकार-पुकार कर अपना सामान बेच रहे थे । थोड़ी-थोड़ी देर में गाड़ियाँ आ-जा रही थीं ।

ऐसे समय तो जैसे भगदड़-सी मच जाती थी । लोग चढ़ने को उतावले रहते थे तो दूसरे उतरने को । ऐसे में धक्का-मुक्की हो जाती थी । महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को बड़ी परेशानी हो रही थो । सामान्य और असुरक्षित (un-reserved) डिब्बों में तो हालत और भी खराब थी । गाडियां खचाखच भरी थीं । चाचाजी की गाड़ी आने में अभी आधे घंटे की देर थी ।

अत: में दृश्य का आनन्द लेने लगा । देश के सभी भागों से स्त्री-पुरुष वहां उपस्थित थे । उनके रंग-बिरंगे और विविध वस्त्र आकर्षक थे । वे सब अपने-अपने लहजों और बोलियों में बोल रहे थे । कुछ लोग अंग्रेजीं में भी बात कर रहे थे । लगता था जैसे एक छोटा-सा भारत ही वहां उपस्थित था ।

<marquee>HOPE IT HELPS<marquee>

\mathfrak{\huge{\purple{NIHARIKA}}}

{\huge{\boxed{\green{FOLLOW\:ME}}}}


asthakz: ☸Moti lambhi cheez
helpmehh: I mean @mere @sautan
asthakz: #3rd kz sautan #nenu :-P
helpmehh: yeah
asthakz: ☯ahh ☯i ☯also ☯mean t ☯hat
asthakz: ☸chal ab kuch methi baate kare
asthakz: tu lovely hai
helpmehh: \( ̄<  ̄)>
helpmehh: @chal @bsdk @bye
asthakz: byyy
Similar questions