Essay on rainy season in hindi
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यह ऋतू जुलाई से शुरू होती है अर्थात सावन भादों के महीनों में होती है । आकाश में बदल छा जाते हैं, वे गरजते हैं और सुंदर लगते हैं । हरियाली से धरती हरी हरी मखमल सी लगने लगती है । चारों तरफ मेंढक टर्र-टर्राने लगते हैं । वृक्षों पर नये पत्ते फिर से निकलने लगते हैं । खेत फुले नहीं समाते । वृक्ष लताएँ मानो हरियाली के स्तम्भ लगते हैं ।
वर्षा ऋतू में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं । रात को टिमटिमाते जुगनू बहुत शोभा बढ़ाते हैं । पपीहे की पीहू-पीहू मन में मस्ती भर देती है । लोग वृक्षों पर झूले डालते हैं । लड़कियां झूले पर झूलती हुयी गीत गाकर समा बांध देती हैं । वर्षा से खेत फलते फूलते हैं । यदि वर्षा बहुत अधिक हो तो बाढ़ भी आ जाती है जिससे बहुत नुकसान होता है ।
जन-धन-अन्न की हानि होती है । मच्छर तथा कीड़े बहुत तंग करते हैं । वर्षा त्योहार की ऋतू भी है । इसमें रक्षा-बंधन, तीज आदि कई त्योहार आते हैं । वृंदावन तो सावन में स्वर्ग लगता है । भगवन श्रीकृष्ण का जनमोत्स्व ‘जन्माष्टमी’ पर्व भी इस ऋतू का गौरव बढ़ाती है । वर्षा ऋतू भारत भूमि को भगवान का वरदान है ।
Answer:
भारत में वर्षा ऋतु जुलाई महीने में शुरु हो जाती है और सितंबर के आखिर तक रहता है। ये असहनीय गर्मी के बाद सभी के जीवन में उम्मीद और राहत की फुहार लेकर आता है। इंसानों के साथ ही पेड़, पौधे, चिड़ियाँ और जानवर सभी उत्सुकता के साथ इसका इंतजार करते है और इसके स्वागत के लिये ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस मौसम में सभी को राहत की साँस और सुकून मिलता है।
आकाश बहुत चमकदार, साफ और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है और कई बार तो सात रंगों वाला इन्द्रधनुष भी दिखाई देता है। पूरा वातावरण सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। सामान्यतः मैं हरे-भरे पर्यावरण और दूसरी चीजों की तस्वीर लेता हूँ जिससे ये मेरे कैमरे में यादों की तरह रहे। आकाश में सफेद, भूरा और गहरा काला बादल भ्रमण करता दिखाई देता है।
सभी पेड़ और पौधे नयी हरी पत्तियों से भर जाते है तथा उद्यान और मैदान सुंदर दिखाई देने वाले हरे मखमल की घासों से ढक जाते है। जल के सभी प्राकृतिक स्रोत जैसे नदिया, तालें, तालाबें, गड्ढें आदि पानी से भर जाता है। सड़कें और खेल का मैदान भी पानी से भर जाता है और मिट्टी कीचड़युक्त हो जाती है। वर्षा ऋतु के ढेर सारे फायदे और नुकसान है। एक तरफ ये लोगों को गरमी से राहत देती तो दूसरी तरफ इसमें कई सारी संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है। यह किसानों के लिये फसलों के लिहाज से बहुत फायदेमंद रहता है लेकिन यह कई सारी संक्रमित बीमारियों को भी फैलाता है। इससे शरीर की त्वचा को काफी असुविधा होती है। इसके कारण डायरिया, पेचिश, टाईफॉइड और पाचन से संबंधित परेशानियाँ सामने आती है।
वर्षा ऋतु में जीव जन्तु भी बढ़ने लगते हैं। ये हर एक के लिये शुभ मौसम होता है और सभी इसमें खुशी के साथ ढेर सारी मस्ती करते है। इस मौसम में हम सभी पके हुये आम का लुत्फ उठाते है। वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिर से भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।