Essay on romanchak khel ka aankhon dekha varnan in hindi of 2 para
Answers
HERE IS UR ANSWER
किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन
भारत-इंग्लैंड एकदिवसीय क्रिकेट-श्रंखला का पाँचवाँ मैच – 2 सितंबर, 2007 को भारत-इंग्लैंड एकदिवसीय क्रिकेट-श्रंखला का पाँचवाँ मैच होना था | इससे पहले भारत टेस्ट क्रिकेट-श्रंखला जीत चूका था | बदले में इंग्लैंड ने 3-1 से एकदिवसीय श्रंखला में बढ़त ले ली थी | भारत पर ‘करो या मरो’ का संकल्प सवार था |
भारत की शुरुआत-बैटिंग पारी – टॉस इंग्लैंड ने जीता | भारत को बल्लेबाजी के लिए उतरा गया | विश्व की सबसे प्रसिद्ध सलामी जोड़ी-यानि सचिन और सौरव बल्लेबाजी के लिए उतरे | भारत के दो-दो यशस्वी भूतपूर्व कप्तान संग-संग जूझ रहे थे | सचिन ने एक-एक करके इंग्लैंड के सभी गेंदबाजों जो धुन डाला | उन्होंने प्रसिद्ध गेंदबाज लेविस के छठे ओवर में चार चौके जड़ दिए | उधर गांगुली भी फार्म में आ गए | उन्होंने मिड आन के ऊपर से चक्का मारा तो कप्तान कोलिनबुड खुद गेंदबाजी करने लगे | सलामी जोड़ी ने 116 रन बना डाले | यह उनकी विश्व-रिकार्ड बनाने वाली 19वीं शतकीय पारी थी | कोलिनबुड की गेंद पर सचिन लपके गए | उधर पनेसर की गेंद पर छक्का मारने के प्रयास में सौरव भी लपके गए | उसके बाद युवराज सिंह ने छक्के-चौकों की आतिशी बल्लेबाजी से 72 रन बनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर लिया | भारत पर रन बनाने का भुत इतना सवार था कि कप्तान राहुल रन आउट हो गए | एक खाली गेंद पर ही खिलाडियों ने भागकर दो रन बना लिया | अंतिम गेंद पर भी चौका जड़ा गया |
इंग्लैंड की पारी – इससे पहले कि इंग्लैंड की पारी शुरू होती, बारिश शुरू हो गई | बारिश रुकी तो इंग्लैंड को 45 ओवेरों में 311 रन बनाने का लक्ष्य दिया गया | इंग्लैंड के बल्लेबाज शुरू से ही आक्रामक खेल खेले | उन्होंने साढ़े छ: रन प्रति ओवर की गति बनाकर राखी कि ज़हीर खान के एक ओवर में सचिन ने हाथ में आई कैच छोड़ दी | भारत को झटका लगा | परंतु सात रन पर उनके सलामी बल्लेबाज कुक को विकेटकीपर धोने ने कैच-आउट कर दिया | उसके बाद आए बेल ने शानदार पारी खेली | दुर्भाग्य से सौरव गांगुली और अजित अगरकर ने हाथ में आए दो कैच और छोड़कर गेंदबाजों को और निराश कर दिया | यहाँ तक कि खीझ में आकर ज़हीर खान ने गेंद को पैर की ठोकर मारकर एक अतिरिक्त रन दे दिया |
अगले ही क्षण धोनी ने बेल को खूबसूरती से स्टंप आउट कर दिया | अगले ही ओवर में धोनी ने विकेट के पीछे एक और कैच लपका | तीन विकेट गिरते ही भारत का उत्साह बढ़ गया | वह दिन मानो धोनी के नाम था | उसने तीन और कैच लपके | इस प्रकार उसने एक ही मैच में 6 विकेट लेकर विश्व-रिकार्ड की बराबरी कर ली | इधर इंग्लैंड के कप्तान कोलिनबुड उन्मादी क्रिकेट खेलकर भारत के गेंदबाजों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे | उन्होंने सभी दिशाओं में हवाई छक्के लगाए | 91 रनों की बेहतरीन पारी खेलते हुए वे बावड ही थे कि फिर से बारिश शुरू हो गई | अभी 39 ओवर हुए थे और इंग्लैंड ने 8 विकेट पर 242 रन बना लिए थे | निश्चित रूप से यह मैच भारत की झोली में था | निर्णायकों ने डकवर्थ लुईस नियम के अनुसार भारत को बिजयी घोषित कर दिया | इस प्रकार आगामी दो मैचों का संघर्ष और भी रोचक हो गया | भारत ने श्रंखला जीतनी है तो उसे अपने दोनों मैच जीतने होंगे |
स्मरणीय बातें – इस मैच में सचिन-सौरव की सलामी बल्लेबाजी और छोड़ी हुई कैचें और एक युवराज और कोलिनबुड के रोमांचक छक्के याद रहेंगे | सबसे ज्यादा यद् रहेंगी धोनी की 5 शानदार कैचों और एक स्टंप | सौरव ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में सुंदर प्रद्शन किया | इसलिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच घोषित क्या गया |
I HOPE IT HELPS YOU PLZ
PLZ MARK IT AS A BRAINLIEST
किसी-न-किसी मैच को हम अपनी आंखों से देखते हैं और विशेष आनन्द का अनुभव करते हैं। दिल्ली राजधानी में कोई-न-कोई मैच होता ही रहता है। पिछले वर्ष इंदिरा गांधी स्टेडियम में इंग्लैंड और भारत के बीच क्रिकेट मैच हुआ था। इस मैच को मैं भी देख रहा था।
मैच आरम्भ हुआ। मैंने देखा कि भारत की टीम के कप्तान सुनील गावस्कर थे। अब मैच को आरम्भ करने के लिए एम.सी.सी. ने टास जीता। टास जीतने के बाद मैच शुरू हो गया। मैच के पहले दिन एम।सी।सी। के मुख्य छः बल्लेजबाज आउट हुए थे। रेण्डवल और बाथम क्रीज पर थे। इस मैच को देखने के लिए भीड़ उफन रही थी। क्रिकेट बोर्ड के अनेक प्रबन्ध करने के बाद भी भीड़ को नियंत्रित करना बहुत कठिन हो रहा था। भीड़ इतनी अधिक थी कि मुख्य द्वार के साध प्रवेश द्वार पर भी बैठने की जगह न होने के कारण खेल देखने के उत्सुक लोग करीब तीन सौ से भी अधिक खड़े-खड़े इस मैच को देखकर आनन्द का अनुभव कर रहे थे। इतनी बड़ी भीड़ को अंदर जाने देने के लिए टिकटों की जांच करना भी एक कठिन कार्य था। यही कारण था कि मैं लगभग पैंतालीस मिनटों के बाद ही अन्दर प्रवेश कर पाया था। काफी प्रयत्न के बाद मैं बैठने का स्थान पाकर बहुत खुश हुआ था। यह बैठने का स्थान बहुत तंग था। फिर यहाँ से मैच परी तरह से दिखाई। पड़ता था। अब मेरे बाद और किसी को कोई भी और कहीं भी बैठने का स्थान मिल सके; बहुत असंभव था।
जब मैच आरम्भ हुआ, तब उस समय लगभग दस बज र थे । खेल के रू। होने के पहले दोनों टीम के अम्पायरों ने खेल के मैदान में आधार क्रीज का निरीक्षण किया। कुछ देर के बाद भारतीय टीम के सदस्य टीम के कप्तान गावस्कर के नेतत्व में के मैदान में आये। दूसरी ओर इंग्लैण्ड के टीम के कप्तान एम।सी।सी। के नेतृत्व में मैदान में आये। जब भारतीय खिलाड़ियों का खेल आरम्भ हुआ, तब सबसे पहले। प्रसिद्ध गेंदबाज कपिलदेव ने गेंदबाजी की। पहले दो-तीन गेंदें खेलने में बाथम को थोड़ी कठिनाई हुई किन्तु चौथी गेंद पर उसने भागकर दो रन लिए। इसके बाद उसने एक और गेंद पर चौका मारा। ओवर समाप्त होने के बाद दूसरे छोर से रवि शास्त्री ने गेंदबाजी शुरू की। संयोग की बात यह है कि रवि शास्त्री की पहली गेंद पर ही रैण्डल कैच-आउट हो गए। खेल में जान-सी आ गई। अब तक एम। सी।सी। की रन संख्या सात विकेट पर 129 हो गई थी। इसके बाद विलीस मैदान पर उतरे; किन्तु वे भी बहुत देर तक पिच पर नहीं टिक सके। भारत के कुशल गेंदबाजों ने खेल शुरू होने के एक घण्टे के भीतर ही इंग्लैंड की सारी टीम आउट कर दी।
अब भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की बारी आई। यह बारी दस मिनट के बाट ही आई थी। भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर और प्रसिद्ध खिलाड़ी वेंगसरकर ने अपनी-अपनी पारी के द्वारा खेल को आरम्भ कर दिया था। इंग्लैंड की ओर से प्रसिद्ध गेंदबाज एम.सी.सी. ने गेंदबाजी शुरू की थी। गावस्कर खेल में एकजुट हो गए। थे। पहले ओवर में केवल दो रन बने । खेल चलता रहा कुछ देर बाद भारत के दोनों बल्लेबाजों ने खुलकर खेलना शुरू किया और खेल के पहले घण्टे में 40 रन । बने। इसके बाद विलीस की एक गेंद पर वेंगसरकर आउट हो गए और उनका स्थान लेने के लिए गुंडप्पा विश्वनाथ आए। दुर्भाग्य से विश्वनाथं भी अधिक देर तक पिच पर नहीं ठहर सके और अभी उनकी व्यक्तिगत रन संख्या 26 ही थी। कि वे बौथम की गेंद पर कैच आउट हो गए। भारत बहुत कठिन स्थिति में फैंस गया था। उसके दो शीर्षस्थ बल्लेबाज केवल 60 रनों पर ही आउट हो गए थे। इसके बाद कपिलदेव आए और दर्शकों ने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया। निश्चय ही कपिलदेव का खेल बहुत शानदार रहा। उनकी रन बनाने की गति अद्भुत थी। शायद ही कोई गेंद ऐसी होती थी जिस पर वे रन न बना पाते हों। उन्होंने । अगले आधे घण्टे के खेल में ही अपनी व्यक्तिगत रन संख्या 40 तक पहुँचा दी। गावस्कर उनका जमकर साथ दे रहे थे। कपिलदेव ने इस बीच विलीरा की गेंद पर एक जोरदार छक्का मारकर दर्शकों के मन को मुग्ध कर दिया था। उसके बाद गावस्कर कैच आउट हो गए और चायकाल के समय भारत की रन संख्या तीन विकेट पर 140 तक पहुँच गई। उस दिन के मैच में कपिलदेव की धुआंधार बल्लेबाजी मुझे सदैव स्मरण रहेगी।
अपनी आँखों से देखे हुए इस क्रिकेट मैच का जो मुझे आनंद और सुख का अनुभव प्राप्त हुआ, वह आज भी मुझे बार-बार याद दिलाता है। यही कारण है कि में जब कभी अवसर प्राप्त करता हैं तो कोई-न-कोई क्रिकेट मैच देखने के लिए लालायित और मचल जाता हूँ। मुझे बार-बार इस देखे गए क्रिकेट मैच को। उत्साहवर्द्धक और रोचक दृश्य इस खेल के प्रति अद्भुत लगाव उत्पन्न कर हैं। मैंने जब से इस क्रिकेट मैच का आनंद और सुख प्राप्त किया तवे से बार-बार प्रशंसा सबसे किया करता हूँ ।
वास्तव में मुझे इस खेल के प्रति जो झुकाव और आकर्षण हैं, वह इस मैच के देखने के कारण ही है। इसलिए मैं आज भी अन्य खेलों में भाग लेते हुए भी क्रिकेट मैच को अधिक महत्त्व देता हैं और अपने अन्य संपर्क-सूत्रों को इसके लिए प्रेरणा दिया करता हूँ।
Hope It’s Help u