essay on "saathi haath badhana " in hindi
Answers
Answered by
1
Answer:
write a essay on unity
as u wish
Answered by
1
बड़ी अज़ीब बात है कि मौजूदा दौर में इंसान पहले से कई गुना विकसित जरुर हुआ है ,मगर मानवता कहीं पीछे छूटती जा रही है | आज जब मैं ऑफिस के लिए बस का इंतेज़ार कर रही थी ,इतने में देखा कि एक सब्जी लेकर जा रहे साईकिल वाले को एक कारवाले ने धक्का मार दिया | बिना रुके, बिना देखे कार चालक आगे बढ़ गया और सब्जी वाला कुछ देर तक कार को घूरता रहा फिर भी बिना कुछ कहे सब्जी की टोकरी की तरफ देखने लगा | सड़क के बीचो- बीच पर टमाटर ,मटर आदि सब्जियां बिखरी पड़ी थी | उसकी साईकल भी दूसरी तरफ गिरी हुई थी | मगर वह असमंजस की स्थिति में दो मिनट यूँ ही खड़ा रहा | पीछे से किसी ने सलाह दी कि पहले अपने रोज़ी रोटी का सामान यानि सब्जी उठा लो | मगर इतने पर भी सब्जी वाले को कुछ न सूझ रहा था | मैंने देखा वह अपनी साईकल खड़ी कर इधर उधर नज़र दौड़ा रहा था कि शायद कोई उसकी मदद के लिए आये | मगर सब तमाशबीन कि तरह देख रहे थे | मैंने गौर किया कि उसकी टोकरी साईकल के पीछे केरियर में बंधी हुए थी और साईकल में स्टैंड भी नहीं थी | इसीलिए वह साईकल पकडे खड़ा था कि कोई उसकी साईकल पकड़ ले तो वह सड़क पर से सब्जियां उठा ले | यह देखकर मैं उसकी मदद के लिए आगे बड़ी ही थी कि मेरी ऑफिस बस आ गयी | मगर इतने में एक भला आदमी अपनी बाइक से उतरा और वह उसकी मदद के लिए आगे बढ़ने लगा | मैंने भी जोर देकर उनसे कहा की वे उस साईकल वालें कि मदद कर दें | जवाब में उस इंसान ने सिर हिला दिया| और मैं बस में सवार हो गयी | और सोचने लगी कि उसवक्त वहाँ मेरे ऑफिस स्टाफ के साथ ही अन्य दूसरे लोग भी मौज़ूद थे मगर किसी ने देखने के सिवा और कोई काम नहीं किया | अगर वह भला इंसान न होता तो फिर वह साईकल वाला क्या करता |
ऐसा नहीं है कि आज के समय में मानव संवेदना, शून्य हो गयी है, मगर संवेदना के नाम पर लोगों को सिर्फ अपना घर -परिवार ही दिखाई देता है | अगर किसी के घर में कुछ परेशानी या दिक्कत चलती है तो घर वाले ही परेशान होते है आस-पड़ोस को इससे कोई मतलब नहीं होता है | बावजूद इसके सभी सोचते है कि काश कोई हमारी मदद को आगे आये | जब हम खुद ही मदद वाला रवैया दरकिनार करते जा रहे है तो कल को यही रवैया हम तक भी पहुँचेगा | आज उस सब्जीवाले को आपकी मदद कि जरुरत थी ,कल को आपको भी किसी कि मदद कि जरुरत पड़ सकती है | आज आप हाथ बढ़ाएंगे तभी आपको कल सहारा मिलेगा |
जाहिर है आज समाज में क्राइम के गुना बढ़ गया है| अच्छे लोगों को भी तमाम तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है | लोग मदद के नाम पर गलत काम करते करते है | ऐसे मुश्किल हालत में लोग किसी कि मदद करने के बारे में सोच ही नहीं पाते | मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम मानवता ही भूल जाये | आखिर हम सब इंसान है ,कभी न कभी हमें मानव होने का भी फ़र्ज़ निभाना होगा | मुश्किल हालातों में भी हम सभी अपने परिवार कि मदद करते है ,तो फिर समाज कि क्यों नहीं ? आखिर परिवार ही तो आगे चलकर समाज बनता है | आज सड़क पर दुर्घटना आम बात है और उससे भी आम यह है कि लोग जल्दी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते | कुछ के पास समय नहीं होता ,तो कुछ केस , मुकदमा ,गवाही के चलते आगे नहीं आते | कुछ एक ऊॅचे ओहदे वाले , लोगों कि मदद सिर्फ इसलिय नहीं करते क्युकि उन्हें सड़क पर भी अपने ओहदे कि फिकर सताती है | कुछ लोग को शर्म आती है तो कुछ सोचते है कि इससे उनके वयक्तित्व पर बुरा असर पड़ेगा,या स्टाइल ख़राब हो जाएगी -खासकर आज कि नई पीढ़ी | ऐसे लोगों को समझने कि जरुरत है कि अगर उनके ही परिवार का कोई सदस्य सड़क पर गिरा हो तो वे क्या वह इन सब चीज़ो कि परवाह करेंगे | अगर जवाब नहीं में है तो उन्हें दूसरे लोगों कि मदद करते समय भी ऐसे ही सोचने कि जरुरत है|
ऐसा नहीं है कि आज के समय में मानव संवेदना, शून्य हो गयी है, मगर संवेदना के नाम पर लोगों को सिर्फ अपना घर -परिवार ही दिखाई देता है | अगर किसी के घर में कुछ परेशानी या दिक्कत चलती है तो घर वाले ही परेशान होते है आस-पड़ोस को इससे कोई मतलब नहीं होता है | बावजूद इसके सभी सोचते है कि काश कोई हमारी मदद को आगे आये | जब हम खुद ही मदद वाला रवैया दरकिनार करते जा रहे है तो कल को यही रवैया हम तक भी पहुँचेगा | आज उस सब्जीवाले को आपकी मदद कि जरुरत थी ,कल को आपको भी किसी कि मदद कि जरुरत पड़ सकती है | आज आप हाथ बढ़ाएंगे तभी आपको कल सहारा मिलेगा |
जाहिर है आज समाज में क्राइम के गुना बढ़ गया है| अच्छे लोगों को भी तमाम तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है | लोग मदद के नाम पर गलत काम करते करते है | ऐसे मुश्किल हालत में लोग किसी कि मदद करने के बारे में सोच ही नहीं पाते | मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम मानवता ही भूल जाये | आखिर हम सब इंसान है ,कभी न कभी हमें मानव होने का भी फ़र्ज़ निभाना होगा | मुश्किल हालातों में भी हम सभी अपने परिवार कि मदद करते है ,तो फिर समाज कि क्यों नहीं ? आखिर परिवार ही तो आगे चलकर समाज बनता है | आज सड़क पर दुर्घटना आम बात है और उससे भी आम यह है कि लोग जल्दी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते | कुछ के पास समय नहीं होता ,तो कुछ केस , मुकदमा ,गवाही के चलते आगे नहीं आते | कुछ एक ऊॅचे ओहदे वाले , लोगों कि मदद सिर्फ इसलिय नहीं करते क्युकि उन्हें सड़क पर भी अपने ओहदे कि फिकर सताती है | कुछ लोग को शर्म आती है तो कुछ सोचते है कि इससे उनके वयक्तित्व पर बुरा असर पड़ेगा,या स्टाइल ख़राब हो जाएगी -खासकर आज कि नई पीढ़ी | ऐसे लोगों को समझने कि जरुरत है कि अगर उनके ही परिवार का कोई सदस्य सड़क पर गिरा हो तो वे क्या वह इन सब चीज़ो कि परवाह करेंगे | अगर जवाब नहीं में है तो उन्हें दूसरे लोगों कि मदद करते समय भी ऐसे ही सोचने कि जरुरत है|
Similar questions