Hindi, asked by SAIniky9601, 1 year ago

Essay on sabse pyara desh hamara in hindi

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Answered by janvi47
218
अतीत है तथा गौरवमयी संस्कृति व सभ्यता है । हमारा देश विश्व के समस्त देशों से अद्‌भुत व निराला देश है । मुझे अपने देश की संस्कृति व सभ्यता पर गर्व है ।

मैं जब भी किसी से कहता हूँ कि मैं भारतवासी हूँ या मुझे कोई भारतीय कहकर पुकारता है तो मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ । हमारे देश के विश्व में अन्य देशों से अद्‌भुत व न्यारे होने के कई कारण हैं जिसका विस्तृत अवलोकन इस बात की पुष्टि करता है ।

हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है । यह देश ऋषियों-मुनियों का देश रहा है । भारत को इसीलिए अनेक महापुरुषों ने देवों की धरती कहा है क्योंकि यहाँ पर संस्कृति व सभ्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और हजारों वर्ष बाद भी भारतीय संस्कृति उतने ही सशक्त व जीवंत रूप में विद्‌यमान है । हमारे देश की संस्कृति त्याग, बलिदान, प्रेम, सद्‌भावना, भाईचारा, श्रद्‌धा आदि महान नैतिक, शुद्‌ध व दैवी गुणों पर आधारित है ।

विशाल हृदय वाली इस संस्कृति ने हमें अपने दुश्मनों से भी प्रेम करना सिखाया है । इसी धरती पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, त्याग की प्रतिमूर्ति महात्मा दधीचि, दानवीर कर्ण, महाप्रतापी व सत्यवादी राजा हरिश्चंद आदि महापुरुषों ने जन्म लिया । गाँधी जी जैसे युगपुरुष यहीं पर अवतरित हुए जिन्होंने बिना शस्त्र के ‘सत्य और अहिंसा’ के मार्ग पर चलते हुए भारत को स्वतंत्र कराया । संपूर्ण विश्व युगपुरुष गाँधी जी को आज भी नमन करता है ।

हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक विभिन्न भाषा, जाति, वेश-भूषा व विभिन्न मतों के लोग एक साथ निवास करते हैं । इतने विभिन्न रंगों को एकीकृत रूप में पिरोना भारत जैसे महान देश में ही संभव है । भारतीय संस्कृति की उदारता व महानता का यह साक्षात् प्रमाण है ।

यहाँ विश्व के लगभग समस्त धर्मों के लोग परस्पर मेल-जोल से रहते हैं । सभी को बिना भेदभाव अपने धर्म को मानने व प्रचार-प्रसार की खुली अनुमति है । उत्तर से दक्षिण हो या फिर पूर्व से पश्चिम हम भारत के किसी भी छोर पर जाएँ हमें जो भिन्नता यहाँ देखने को मिलेगी वैसी भिन्नता विश्व के शायद ही किसी कोने में उपलब्ध हो ।

कला की दृष्टि से भी हमारा देश उत्कृष्ट है । मुगलकालीन इतिहास में मुगल शासकों द्‌वारा प्रदत्त कला, विश्व कला जगत के लिए एक महान उपलब्धि है । हम आगरा के ताजमहल को लें, या फिर दिल्ली की कुतुबमीनार को सभी कला जगत की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं जिसे देखने के लिए हर वर्ष लाखों विदेशी पर्यटक भारत आते हैं ।

Answered by sawisha8
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Answer:

भारत: हम सबका ऋषि -शुभी प्राणी अपनी जन्मभूमि को जन से भी पियारा मानते हैं और उसी की सबसे सुंदर प्रशंसा हैं। हम भारतवासियों के लिए भी हमारा भारत सबसे प्रिय हैl सौंदर्य उदाहरण ने भारत की संभव का निर्माण एक सुंदर देवी के रूप में क्या है। हिमाचल की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ उसका सुंदर मुकुट है। अटक से कटक तक फैली उसकी विस्तुत बाहें है। कन्याकुमारी उस देवी के चरण हैं जो तीन ओर से घिरे समुंद्र में विहार करने का निरंतर आनंद ले रहे हैं। गंगा - यमुना की धाराएँ उस देवी की छाती से निकलने वाला अमृत है जिसका पानकरके देश के एक अरब पुत्र धन्य होते हैं | विविधताओं का सागर -भारतवर्ष विविधताओं का जादू - भरा पिटारा है। इसमें पर्वत भी हैं, समुंद्र भी; जल - पूरित प्रदेश भी हैं तो सूखे रेगिस्तान भी; हरियाली भी है; उजाड़ भी; तपति लू भी है तो शीतल हवा भी; बीहड़ वन भी हैं तो विस्तुत मैदान भी; यहाँ वसंत भी है तो पतझड़ भी | यहाँ खान - पान, रहन - सहन, धर्म - साधना, विचार - चिंतन व्की विविधता नहीं है? कि विविधता हमारी शान है, हमारी समृद्धि का कारण है ।ध्यान और ज्ञान का भंडार –भारतवर्ष को ज्ञान के कारण 'जगद्गुरु' और धन - वैभव के कारण की सोने की चिड़िया 'कहा जाता था। भारत में जितनेरल भंडार हैं, उतने अन्य कोई नहीं। हमारी इसी संपति को लुटने के लिए लुटेरे बार - बार भारत पर आक्रमण करते रहे हैं। आज भी भारत की कोख रत्नों से खली नहीं हुई है ।ज्ञान के क्षेत्र में सारा विश्व भरका ऋणी है। शून्य और गणना- पद्धति भारतवर्ष की चलो है। इसी पर विज्ञान की सारी सभ्यता टिकी हुई है। यहाँ के शिल्प, कला कौशल, ज्योतिष- ज्ञान विश्व भर को आलोक देते रहें हैं। सत्य, अध्यात्म और अहिंसा की धरती -भारत के लिए सबसे अधिक गौरव की बात यह है कि इस धरती ने विश्व को सत्य, अहिंसा धर्म और सर्वधर्म व्यवहार का संदेश दिया। भारत में जैन, बोद्ध, हिन्दू जैसे विशाल धर्मो ने जनम लिया किंतु कभी दुसरे देश पर जबरदस्ती अधिकार करने का यत्न नहीं किया। यहाँ तक कि हमने आज़ादी की लड़ाई भी अहिंसा के अलौकिक अस्त्र से जीती। विशव की सभी समस्याओं पर विचार करने और उसकी शंतुवदन हल धुंडने में भी भारत अग्रणी रहा है। आज भी अगर विशव - भर को शांति चाहिए तो उसे भारत की शरण में आना होगा।

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