essay on saccha prem in hindi
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चाँदनी रात में
तुम्हारे साथ हूँ।
चाँदनी में घुल चुका,
मनोरम अहसास हूँ।
आदिकवि की कल्पना से
जन्मा एक विरह दर्द हूँ
आषाढ़ मास में उभरे हुए
मेघदूतों का यक्ष हूँ।
हिरण्यगर्भ से भी पहले
सर्वत्र एक नभ हूँ।
प्रिय से प्रियत्मा के बीच
शब्दों में प्रणव हूँ।
योग से ऊपर उठा
समय से अतीत हूँ
महाकाल से मिला
शून्य में व्यतीत हूँ।
प्रकृति में विलीन हुए
सूक्ष्म का प्रकाश हूँ
परमात्मा का प्रेमी बने
आत्मा का निवास हूँ।
मैं ही योगियों का लक्ष्य
भक्ति में रस हूँ
विधाता को भी बांधने वाला
एकमात्र प्रेम रस हूँ।
here is a poem for u....✌️✌️
तुम्हारे साथ हूँ।
चाँदनी में घुल चुका,
मनोरम अहसास हूँ।
आदिकवि की कल्पना से
जन्मा एक विरह दर्द हूँ
आषाढ़ मास में उभरे हुए
मेघदूतों का यक्ष हूँ।
हिरण्यगर्भ से भी पहले
सर्वत्र एक नभ हूँ।
प्रिय से प्रियत्मा के बीच
शब्दों में प्रणव हूँ।
योग से ऊपर उठा
समय से अतीत हूँ
महाकाल से मिला
शून्य में व्यतीत हूँ।
प्रकृति में विलीन हुए
सूक्ष्म का प्रकाश हूँ
परमात्मा का प्रेमी बने
आत्मा का निवास हूँ।
मैं ही योगियों का लक्ष्य
भक्ति में रस हूँ
विधाता को भी बांधने वाला
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this is the answer of your question.
Explanation:
i think it may be helpful to you by Ravi Dhankhar
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