Essay on sachha mitra ( for 1 min)
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Sacha Mitra vo hota hai Jo hamari musibat mein mein sath data hai aur hamar dukh sukh mein hamare sath ho
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सच्चे मित्र का जीवन में होने अति आवश्यक है| वह जीवन के सुख-दुःख में हमारा साथ देता है| हमारे हित की कामना करता है| वह मुश्किलों में ढाल बनकर हमारी रक्षा करता है| जब हम निराश होते है तो हममें आशा का संचार करता है| हमारे आँसू पोंछकर वह हमें कर्तव्यपथ की और प्रेरित करता है| वह बहुत भाग्यशाली होते है| जिन्हे सच्चा मित्र मिलता है|
आप सच्चा मित्र किसे कहेंगे ? सच्चा मित्र वही है जो सत्यवादी, कर्तव्यनिष्ठ, कार्य कुशल तथा व्यवहार में ईमानदार होता है| उसमें आडम्बर की भावना नहीं होती| उसमें दृढ़ निश्चय, सहिष्णुता और उदारता की भावना होती है| वह कभी भी अपने मित्र को भूलों और दोषों से नाराज होकर उनसे मुँह फेर लेता| वह मित्र की कमियों को बड़े स्नेह से दूर कर लेता है| मित्र के लिए वह तन, मन, धन सभी कुछ न्योछावर कर सकता है| ऐसा मित्र अपने मित्र की प्रगति को देखकर प्रसन्न होता है| उससे ईर्ष्या नहीं करता| वह अपने मित्र के सामने झूठा दिखावा नहीं करता| दूसरों के सामने उसकी नींदा नहीं करता और न ही निंदा सुनना पसंद करता है| अपने स्वार्थ के लिए उसे नुकसान नहीं पहुँचाता या किसी प्रकार का धोखा नहीं देता| अपने और अपने मित्र के बीच धन-दौलत को कभी आने नहीं देता| यदि उसका मित्र गलती करें तो उसकी गलती सुधारने में मदद करें और उसका उचित मार्गदर्शन करें| आपस में किसी प्रकार का रहस्य न रखें और एक दुसरे पर भरोसा व विश्वास रखें| यदि आपके मित्र में ये सभी बातें है तो आप उसे सच्चा मित्र कह सकते हैं|
यह हमारा दुर्भाग्य है कि बदलती परिस्थितियों, बदलते परिवेश और समय परिवर्तन के साथ मित्र की पहचान भी बदलती जा रही है| आज का युग भौतिकवादी और तुलनावादी है| हर इंसान इस युग में आगे निकल जाना चाहता है| आगे जाने के दौड़ में मानवीय गुणों को भूल जाता है| यही कारण है कि वे अपने मित्रों से भी प्रतियोगिता और ईर्ष्या करता है| कभी कभी उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है| सच्चे मित्र का चुनाव बड़ी सावधानी से करना चाहिए| अच्छी तरह से उसे परख कर उस गुणों का परिक्षण कर के सच्चे मित्र का चुनाव कीजिए क्योंकि वह आपके जीवन को सुखमय और मधुर बनाने में अपना बड़ा योगदान देते है|
आप सच्चा मित्र किसे कहेंगे ? सच्चा मित्र वही है जो सत्यवादी, कर्तव्यनिष्ठ, कार्य कुशल तथा व्यवहार में ईमानदार होता है| उसमें आडम्बर की भावना नहीं होती| उसमें दृढ़ निश्चय, सहिष्णुता और उदारता की भावना होती है| वह कभी भी अपने मित्र को भूलों और दोषों से नाराज होकर उनसे मुँह फेर लेता| वह मित्र की कमियों को बड़े स्नेह से दूर कर लेता है| मित्र के लिए वह तन, मन, धन सभी कुछ न्योछावर कर सकता है| ऐसा मित्र अपने मित्र की प्रगति को देखकर प्रसन्न होता है| उससे ईर्ष्या नहीं करता| वह अपने मित्र के सामने झूठा दिखावा नहीं करता| दूसरों के सामने उसकी नींदा नहीं करता और न ही निंदा सुनना पसंद करता है| अपने स्वार्थ के लिए उसे नुकसान नहीं पहुँचाता या किसी प्रकार का धोखा नहीं देता| अपने और अपने मित्र के बीच धन-दौलत को कभी आने नहीं देता| यदि उसका मित्र गलती करें तो उसकी गलती सुधारने में मदद करें और उसका उचित मार्गदर्शन करें| आपस में किसी प्रकार का रहस्य न रखें और एक दुसरे पर भरोसा व विश्वास रखें| यदि आपके मित्र में ये सभी बातें है तो आप उसे सच्चा मित्र कह सकते हैं|
यह हमारा दुर्भाग्य है कि बदलती परिस्थितियों, बदलते परिवेश और समय परिवर्तन के साथ मित्र की पहचान भी बदलती जा रही है| आज का युग भौतिकवादी और तुलनावादी है| हर इंसान इस युग में आगे निकल जाना चाहता है| आगे जाने के दौड़ में मानवीय गुणों को भूल जाता है| यही कारण है कि वे अपने मित्रों से भी प्रतियोगिता और ईर्ष्या करता है| कभी कभी उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है| सच्चे मित्र का चुनाव बड़ी सावधानी से करना चाहिए| अच्छी तरह से उसे परख कर उस गुणों का परिक्षण कर के सच्चे मित्र का चुनाव कीजिए क्योंकि वह आपके जीवन को सुखमय और मधुर बनाने में अपना बड़ा योगदान देते है|
anshika176:
bohot bdia
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