Essay on samaj sewa ka awasyekta in hindi in one paragraph
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प्राचीन समय से लोग सेवा करने पर ज़ोर देते हैं। सेवा ऐसा भाव है जिसे करने वाला भी सुख पाता है और जिसकी की जाती है वह भी सुख पाता है। सेवा करने का अर्थ है ईश्वर की सेवा। सेवा से किसी का अहित नहीं होता बल्कि दो अनजान प्राणी प्रेम के बंधन में बंध जाते हैं। मनुष्य सारी उम्र अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रसायरत्त रहता है। इस प्रकार वह स्वार्थी हो जाता है। ऐसे मनुष्य को मनुष्य की श्रेणी में भी नहीं रखा जा सकता। कहा जाता है, जो मनुष्य दूसरे के दुखों को दूर करने के उपाय किया करता है, वही सच्चा मनुष्य कहलाने का अधिकारी है। सेवा उसे स्वार्थ से अलग कर परोपकार करने के लिए प्रेरित करती है। महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, बाबा आमटे, सुश्री सुकी इत्यादि ऐसे लोग हैं जिन्होंने मानवता के लिए अपना समस्त जीवन सम्पर्ण कर दिया। इन्होंने लोगों के हित उनके अधिकारों तथा तथा उनके जीवन के लिए जीवनभर संघर्ष किया।