Hindi, asked by Toska7279, 1 year ago

Essay on SAMANTHA-SABKA ADHIKAR in hindi

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Answered by ayeshasiddiqastar
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भारत ऐसे लोगों का देश है जिनके अनेक धर्म और भाषाएं हैं जो एक साथ रहकर एक राष्ट्र का निर्माण करते हैं – धर्म, संस्कृति और रहन सहन की ऐसी विविधता विश्व के किसी भाग में नहीं पायी जाती है । जान स्टुआर्ट मिल ने भारत को सीमित क्षेत्र में बसा एक विश्व बताया है । भारत एक छोटा विश्व है ।


संविधान के अनुच्छेद २५ से ३० के समूह में जैसे की भारत विभाजन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से पता चलता है, पहचान किए गए अल्पसंख्यक वर्गो को सुरक्षा की गारंटी देने और इस प्रकार देश की अखंडता को बनाए रखने की बात कही गई है संविधान रचयिताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यक वर्गो की सूची में जोडे जाने की बात नहीं सोची थी । संविधान और उसके सभी भागों से सभी के धार्मिक, सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधी अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शित होती है । अनुच्छेद २५ से ३० में सांस्कृतिक और धर्म संबंधी स्वतंत्रताओं की बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक, दोनों वर्गो को गारंटी दी गई है ।


लोकतांत्रिक समाज का, जिसने उसके मूल सिद्धांत के रूप में समानता के अधिकार को अंगीकार किया है, ध्येय बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक तथा तथाकथित अगडे और पिछडे वर्गो को खत्म करने का होना चाहिए । संविधान में प्रत्येक भारतीय के लिए उसके धर्म, भषा, संस्कृति या विश्वास पर विचार किए बिना एक समान नागरिकता को स्वीकार किया गया है । किसी व्यक्ति नागरिकता के लिए केवल एक शर्त है कि उसका जन्म भारत में हुआ हो ।


हमें ऐसी प्रबुद्ध नागरिकता का विकास करना होगा जहां प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म का हो या उसकी कोई भी भाषा हो, अपने स्वयं के अधिकारों के लिए आग्रह करने कि अपेक्षा दूसरे समूह के अधिकारों की सुरक्षा करने के अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों को अधिक महत्त्व दे ।


संविधानिक लक्ष्य ऐसी नागरिकता विकसित करने का है ताकि प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, विश्वास और पूजा करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हो और कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, चाहे वह अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक, उसके अधिकारों का अतिक्रमण किए जाने के प्रति आशंकित ना रहे ।

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