Essay on sardar vallabhbhai patel in hindi in 1000 words
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पटेल का पालन-पोषण गुजरात राज्य के ग्रामीण इलाकों में हुआ था। वे एक सफल वकील थे। बाद में उन्होंने गुजरात में खेड़ा, बोरसाद और बारडोली से किसानों को ब्रिटिश राज के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा में संगठित किया, जो गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए। उन्हें 1934 और 1937 में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रचार करते हुए पार्टी के आयोजन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 49 वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में, पटेल ने पाकिस्तान से पंजाब और दिल्ली की ओर भाग रहे शरणार्थियों के लिए राहत प्रयासों का आयोजन किया और शांति बहाल करने के लिए काम किया। उन्होंने एक अखंड भारत बनाने के कार्य का नेतृत्व किया, नए स्वतंत्र राष्ट्र में सफलतापूर्वक उन ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रांतों को एकीकृत किया जो भारत को "आवंटित" किए गए थे। उन प्रांतों के अलावा जो प्रत्यक्ष ब्रिटिश शासन के अधीन थे, लगभग 565 स्वशासित रियासतों को 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वारा ब्रिटिश आत्महत्या से मुक्त कर दिया गया था। सैन्य बल को धमकी देते हुए, पटेल ने लगभग हर रियासत को भारत में प्रवेश करने के लिए राजी कर लिया। नए स्वतंत्र देश में राष्ट्रीय एकीकरण के लिए उनकी प्रतिबद्धता कुल और समझौतावादी थी, जिससे उन्हें "भारत का लौह पुरुष" नाम मिला। उन्हें आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के लिए "भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत" के रूप में भी याद किया जाता है। उन्हें "भारत का एकीकरणकर्ता" भी कहा जाता है। दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति, स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी, 31 अक्टूबर 2018 को उन्हें समर्पित की गई, जिसकी ऊंचाई लगभग 182 मीटर (597 फीट) है।
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सरदार बल्लभ भाई पटेल
सरदार पटेल का जन्म 21 अक्टूबर अट्ठारह सौ पचहत्तर को गुजरात के करमसद नामक गांव में हुआ था इनके पिता का नाम झेवर भाई पटेल था सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता के एक अद्भुत शिल्पकार थे भारत उनके दिल में बसता था और वह भारतीय जनमानस की आत्मा थे 18 वर्ष की आयु में इनका विवाह हो गया और विवाह उपरांत उन्होंने अपनी वकालत प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की वे अपने बाल्यकाल से ही उग्र स्वभाव के थे सन् 1913 में भारत लौटने के बाद अहमदाबाद में उन्होंने अपनी वकालत प्रारंभ कर दें तदोपरांत कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के संयोजक मंत्री बने स्वतंत्रता आंदोलन में पटेल का पहला वृहद योगदान खेड़ा संघर्ष महा उन दिनों खेड़ा संभाग अत्यधिक सूखे की चपेट में था और किसानों द्वारा घरों में मांगी गई रियासत को अंग्रेज सरकार द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था अतः पटेल ने किसानों का नेतृत्व करने का बीड़ा उठाया और अंग्रेज सरकार को करों का भुगतान ना करने के लिए किसानों को प्रेरित किया इस आंदोलन से अंग्रेजी सरकार झुक गई और उस वर्ष किसानों को करों में राहत प्रदान की गई या पटेल की पहली बड़ी सफलता थी इसके पश्चात पटेल को बारदोली सत्याग्रह आंदोलन की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसका उन्होंने पूर्ण निष्ठा से निर्वाह किया और आंदोलन का सफल नेतृत्व किया बारदोली सत्याग्रह का अंग्रेज सरकार का व्यापक असर पड़ा और मुंबई सरकार ने लगान के आदेश को निरस्त करते वे किसानों की जमीनें तथा मवेशी वापस लौटाने का आदेश दिया बारदोली सत्याग्रह आंदोलन की विराट सफलता के उपलक्ष में 11 तथा 12 अगस्त को विजय दिवस मनाया गया एक विशाल जनसभा में गांधीजी ने उन्हें सरदार की पदवी से सम्मानित किया और इसके बाद से ही पटेल सरकार के नाम से प्रसिद्ध हुए गांधी जी को सरदार पटेल की क्षमता एवं कार्य कुशलता पर पूरा भरोसा था इसलिए गांधीजी बिना उनकी सलाह लिए कोई कार्य नहीं किया करते थे 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के पश्चात भारत में लगभग 562 देशी रियासतें थी । जी ने अंग्रेज़ सरकार ने उनके हाल पर छोड़ दिया था क्योंकि यह रियासतें ब्रिटिश सरकार की हुकूमत में नहीं आती थी अतः इन रियासतों को सरदार पटेल ने अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं कौशल से विलय
कर एकीकरण का नया विश्वास इतिहास रचा और या अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि यह पूर्णता एक रक्तहीन क्रांति थी यदि उस समय कश्मीर का निर्णय नेहरू केबजाज पटेल के हाथों में होता तो आज भारत में कश्मीर जैसे कोई समस्या नहीं होती सरदार पटेल ने भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीय करण करके इसे भारतीय प्रशासनिक सेवा में परिवर्तित कर आया उनके मन में किसानों के लिए अत्यधिक श्रद्धा थी और इसलिए वे किसानों की दयनीय स्थिति को देखकर अत्यंत दुखी हुआ करते थे देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करना सरदार पटेल जी के प्रयासों का ही परिणाम था पटेल जी ने अहमदाबाद में म्यूनिसिपलिटी कि अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान विक्टोरिया गार्डन में बाल गंगाधर तिलक के बुध की स्थापना कराई सरदार पटेल मितभाषी अनुशासन प्रियता कर्मठ व्यक्ति थे वे मन कर्म और वचन से एक सच्चे भारतीय थे विवर भेदभाव वर्ग भेद के कट्टर विरोधी थे वे निर्भीक पूर्व संगठन शक्ति तथा शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले व्यक्ति थे उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें लौह पुरुष की उपाधि प्रदान की गई थी आज भी युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत हैं उनकी मृत्यु १९५० में हुई और उन्हें १९९१ मैं भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न की उपाधि से अलंकृत किया उनकी 139 वीं जयंती पर भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस महान लौह पुरुष को भावांजलि देते हुए 31 अक्टूबर 2014 को पूरे भारत में एकता दौड़ ( run for unity ) का आयोजन कराया गया संपूर्ण भारत सरदार पटेल की एकता अखंडता के लिए उनका चिर ऋणी रहेगा।
धन्यवाद