essay on satya harishchandra in Hindi about 20 lines
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राजा हरिश्चंद्र अयोध्या के प्रसिद्ध सूर्यवंशी ( इक्ष्वाकुवंशी,अर्कवंशी,रघुवंशी) राजा थे जो सत्यव्रत के पुत्र थे। ये अपनी सत्यनिष्ठा के लिए अद्वितीय हैं और इसके लिए इन्हें अनेक कष्ट सहने पड़े। ये बहुत दिनों तक पुत्रहीन रहे पर अंत में अपने कुलगुरु वशिष्ठ के उपदेश से इन्होंने वरुणदेव की उपासना की तो इस शर्त पर पुत्र जन्मा कि उसे हरिश्चंद्र यज्ञ में बलि दे दें। पुत्र का नाम रोहिताश्व रखा गया और जब राजा ने वरुण के कई बार आने पर भी अपनी प्रतिज्ञा पूरी न की तो उन्होंने हरिश्चंद्र को जलोदर रोग होने का शाप दे दिया।
सत्य की चर्चा जब भी कही जाएगी, महाराजा हरिश्चन्द्र का नाम जरुर लिया जायेगा. हरिश्चन्द्र इकक्षवाकू वंश के प्रसिद्ध राजा थे. कहा जाता है कि सपने में भी वे जो बात कह देते थे उसका पालन निश्चित रूप से करते थे | इनके राज्य में सर्वत्र सुख और शांति थी. इनकी पत्नी का नाम तारामती तथा पुत्र का नाम रोहिताश्व था. तारामती को कुछ लोग शैव्या भी कहते थे
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