Hindi, asked by ps9916427, 9 months ago

essay on school in 200 words in Hindi​

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Answered by aashifking243
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Answer:

स्कूल शिक्षा का मंदिर है | जिस तरह हम सभी रोज-रोज मंदिर जाते हैं, भगवान की पूजा करने के लिए | ठीक उसी प्रकार हमें कुछ सीखने के लिए स्कूल जाना चाहिए |

स्कूल शिक्षा का मंदिर है | जिस तरह हम सभी रोज-रोज मंदिर जाते हैं, भगवान की पूजा करने के लिए | ठीक उसी प्रकार हमें कुछ सीखने के लिए स्कूल जाना चाहिए |हमारा स्कूल की ईमारत सफ़ेद रंग तीन मंजिला है | इस ईमारत में अलग अलग वर्गों के लिए अलग कमरा है | कुछ वर्गों में तो सेक्शन भी है | स्कूल के चारो ओर ऊँची दीवार है | स्कूल का आँगन बहुत ही बड़ा है | स्कूल के चारो ओर लम्बे लम्बे पेड़ कतारों में लगी है, जो स्कूल की शोभा बढ़ाते है | और हमें ताजी ताजी हवा भी मिलती है |

स्कूल शिक्षा का मंदिर है | जिस तरह हम सभी रोज-रोज मंदिर जाते हैं, भगवान की पूजा करने के लिए | ठीक उसी प्रकार हमें कुछ सीखने के लिए स्कूल जाना चाहिए |हमारा स्कूल की ईमारत सफ़ेद रंग तीन मंजिला है | इस ईमारत में अलग अलग वर्गों के लिए अलग कमरा है | कुछ वर्गों में तो सेक्शन भी है | स्कूल के चारो ओर ऊँची दीवार है | स्कूल का आँगन बहुत ही बड़ा है | स्कूल के चारो ओर लम्बे लम्बे पेड़ कतारों में लगी है, जो स्कूल की शोभा बढ़ाते है | और हमें ताजी ताजी हवा भी मिलती है |स्कूल में पार्क भी है, खेल का मैदान भी है, जिसमें बच्चें लंच ब्रेक मे खेलते हैं। हमारे स्कूल में 12 शिक्षक है, जो बहुत ही दृढ़ है | वे अपना काम बहुत ही जिम्मेदारी से करते हैं | वे सभी स्कूल के अनुशाशन को बनाए रखते हैं | वे सभी प्रधानाचार्य के बात को मानते हैं |

स्कूल शिक्षा का मंदिर है | जिस तरह हम सभी रोज-रोज मंदिर जाते हैं, भगवान की पूजा करने के लिए | ठीक उसी प्रकार हमें कुछ सीखने के लिए स्कूल जाना चाहिए |हमारा स्कूल की ईमारत सफ़ेद रंग तीन मंजिला है | इस ईमारत में अलग अलग वर्गों के लिए अलग कमरा है | कुछ वर्गों में तो सेक्शन भी है | स्कूल के चारो ओर ऊँची दीवार है | स्कूल का आँगन बहुत ही बड़ा है | स्कूल के चारो ओर लम्बे लम्बे पेड़ कतारों में लगी है, जो स्कूल की शोभा बढ़ाते है | और हमें ताजी ताजी हवा भी मिलती है |स्कूल में पार्क भी है, खेल का मैदान भी है, जिसमें बच्चें लंच ब्रेक मे खेलते हैं। हमारे स्कूल में 12 शिक्षक है, जो बहुत ही दृढ़ है | वे अपना काम बहुत ही जिम्मेदारी से करते हैं | वे सभी स्कूल के अनुशाशन को बनाए रखते हैं | वे सभी प्रधानाचार्य के बात को मानते हैं |स्कूल में हमें सभी बिष्यों से संबंधितित जानकारी दी जाती है | हमें रहन सहन खान पान के बारे में सिखाया जाता है | हम बच्चोंें भी पूरी ईमानदारी से स्कूल के नियमों का पालन करते हैं | और शिक्षकों को पूरा सहयोग करना है | और शिक्षक द्वारा दिए गए टास्क को पूरा करते हैं |

Hope u like it my ans and mark as brainlist dear ❤❤

Answered by shabnam0613
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Answer:

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर, मतलब वो स्थान जहां विद्या उपार्जन होता हो। हमारे संस्कारों में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है और विद्यालय को ‘मंदिर’ की उपमा दी गयी है। मेरा विद्यालय एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर निबंध आदि लिखने को दिया जाता रहता है। हमारी जिन्दगी का सबसे अहम समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। विद्यालय से हमारी ढ़ेरो यादे जुड़ी रहती है। इसलिए विद्यालय सबकी जिन्दगी में बहुत मायने रखता है।

विद्यालय की परंपरा कोई नयी नहीं है। सदियों से हमारा देश ज्ञान का स्रोत रहा है। हमारे यहां आदिकाल से ही गुरुकुल परंपरा रही है। बड़े-बड़े राजा महाराजा भी अपना राजसी वैभव छोड़कर ज्ञान-प्राप्ति के लिए गुरुकुल जाते थे। यहा तक की ईश्वर के अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम भी पढ़ने के लिए गुरुकुल आश्रम गये थे। गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है, संसार को ऐसी सीख दी।मेरा स्कूल मेरे घर से नजदीक है | यह दो मंजिला ईमारत है | विधालय एक शिक्षा का मंदिर होता है | इसलिए यह मेरे लिए मंदिर है | स्कूल पहुंच कर हम पहले सभी को गुड मॉर्निंग बोलकर अभिवादन करते है | फिर सभी बच्चे स्कूल के आँगन में जमा होकर भगवन की प्रार्थना करते है | स्कूल का चपरासी साफ-सफाई पहले से ही करके रखते है |

वह सभी क्लासरूम को भी साफ कर देते है | प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी बच्चे अपने अपने क्लास में जाते है | और अपने पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार होकर शिक्षक का इंतजार करते है | घंटी बजते ही शिक्षक आ जाते है | और वो हमें पढ़ते है | स्कूल रोज रोज जाना मुझे बहुत पसंद है | हम ड्रेस कोड और टाई लगाकर स्कूल जाते है |

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