Hindi, asked by kcmahi24125, 8 months ago

essay on school in hindi​

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Answered by bhoopbhoomi3088
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Answered by priyanka0506
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नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) और शिक्षा का अधिकार 2009 (RTE 2009) ने कुछ मानक तय कर रखे हैं, जिसके अनुसार ही विद्यालय की बनावट और वातावरण होना चाहिए। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) ने भारत में शिक्षा के स्तर में प्रोन्नति हेतु महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं। जो बहुत कारगर भी सिध्द हुएं हैं। RTE 2009 ने विद्यार्थियों के समग्र विकास में विद्यालय की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका बतायी है। विद्यालय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों की हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखे।

मानक के अनुसार कुछ विशेषताएं अधोलिखित हैं-

शांत वातावरण होना चाहिए।

ट्रेंड टीचर्स होने चाहिए।

विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए।

नियमित गृह कार्य दिया जाना चाहिए।

छात्र/छात्राओं के मूल्यांकन हेतु सतत मूल्यांकन पद्धति अपनायी जानी चाहिए।

स्वाध्याय हेतु एक पुस्तकालय एवं वाचनालय होना चाहिए।

अतिरिक्त पाठ्येतर गतिविधि पर बल देना चाहिए ।

विभिन्न विषयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए

अध्यापन हेतु कक्ष विशाल और हवादार होने चाहिए।

सी० बी० एस० ई० के निर्देशानुसार सत्र 2009 - 2010 से ही कक्षा 9 व् 10 में भी अंको के स्थान पर ग्रेडिंग व्यवस्था लागू कर दिया गया है, जिसका पालन होना चाहिए।

शीतल पेय-जल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ।

समुचित शौचालयों का प्रबंध होना चाहिए ।

शारीरिक, योग, नृत्य एवं संगीत शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।

छात्रो की अंतः क्रियाओं एवं मानसिक विकास हेतु वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि कराना चाहिए।

विद्यालय की वार्षिक पत्रिका छपनी चाहिए, जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी बच्चों का उल्लेख होना चाहिए।

सभी कक्षाओं में स्मार्ट कक्षा की व्यवस्था होना चाहिए ।

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर, मतलब वो स्थान जहां विद्या उपार्जन होता हो। हमारे संस्कारों में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है और विद्यालय को ‘मंदिर’ की उपमा दी गयी है। मेरा विद्यालय एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर निबंध आदि लिखने को दिया जाता रहता है। हमारी जिन्दगी का सबसे अहम समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। विद्यालय से हमारी ढ़ेरो यादे जुड़ी रहती है। इसलिए विद्यालय सबकी जिन्दगी में बहुत मायने रखता है।

कहते हैं, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग हमारा बचपन होता है। बचपन का हर पल खुल कर जीना चाहिए। न ही कोई जिम्मेदारी का बोझ होता है और न ही करियर की टेंशन। सिर्फ खुद से मतलब। ऐसा मस्त समय जीवन में दोबारा कभी नहीं आता। और इन सब मस्ती के पल का साक्षी होता है, हमारा विद्यालय।

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