essay on self defence in hindi
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सेल्फ डिफेन्स अर्थात आत्म रक्षा का अर्थ है स्वयं की रक्षा करने हैं. अपने जीवन की रक्षा के प्रयत्न में व्यक्ति को शारीरिक नुकसान क्षति भी सम्भव होती हैं साथ ही जिससे जीवन का खतरा हो उसके प्राण लिए जा सकते हैं. भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को स्वयं की रक्षा हिफाजत के अधिकार देता हैं. इंडियन पीनल कोड की धारा 96 से 106 तक व्यक्ति के सेल्फ डिफेंस के अधिकार का विस्तृत विवेचन दिया गया हैं. आज के समय में जहाँ हर समय जीवन खोने का खतरा बना हुआ हैं ऐसे में खासकर बच्चियों तथा महिलाओं को स्व रक्षा की ट्रेनिंग देने की वेशेष आवश्यकता है हरेक नागरिक आत्मरक्षा के तरीकों के बारे तथा विकट परिस्थति से निपटने की शिक्षा देने की व्यवस्था की महत्ती आवश्यकता हैं जिससे वे अपने जान माल के नुकसान को होने से बचा सके.
सेल्फ डिफेन्स अर्थात आत्म रक्षा का अर्थ है स्वयं की रक्षा करने हैं. अपने जीवन की रक्षा के प्रयत्न में व्यक्ति को शारीरिक नुकसान क्षति भी सम्भव होती हैं साथ ही जिससे जीवन का खतरा हो उसके प्राण लिए जा सकते हैं. भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को स्वयं की रक्षा हिफाजत के अधिकार देता हैं. इंडियन पीनल कोड की धारा 96 से 106 तक व्यक्ति के सेल्फ डिफेंस के अधिकार का विस्तृत विवेचन दिया गया हैं. आज के समय में जहाँ हर समय जीवन खोने का खतरा बना हुआ हैं ऐसे में खासकर बच्चियों तथा महिलाओं को स्व रक्षा की ट्रेनिंग देने की वेशेष आवश्यकता है हरेक नागरिक आत्मरक्षा के तरीकों के बारे तथा विकट परिस्थति से निपटने की शिक्षा देने की व्यवस्था की महत्ती आवश्यकता हैं जिससे वे अपने जान माल के नुकसान को होने से बचा सके.आत्मरक्षा के अधिकार के तहत व्यक्ति अपने प्राणों के बचाव के लिए किसी भी हद तक जा सकता हैं यहाँ तक कि उसे जीवन के खतरे को पैदा करने वाले को समाप्त करने का हक भी हैं. आत्म रक्षा का अधिकार का उपयोग या दुरूपयोग उस समय की स्थिति और हालातों पर ही निर्भर करता हैं. मगर आत्मरक्षा के अधिकार की ओट में किसी के घर आदि में जाकर मारपीट हमला या लूट को वैधानिक नहीं माना हैं इसका अस्तित्व परिस्थितियों से हैं जहाँ व्यक्ति के जीवन पर अकस्मात खतरा उत्पन्न हो जाए तथा जहाँ से बचने या मदद मांगने के समस्त राह समाप्त हो जाती हैं वहां आप वार कर अपनी क्षमता का उपयोग कर जीवन की रक्षा कर सकते हैं.
सेल्फ डिफेन्स अर्थात आत्म रक्षा का अर्थ है स्वयं की रक्षा करने हैं. अपने जीवन की रक्षा के प्रयत्न में व्यक्ति को शारीरिक नुकसान क्षति भी सम्भव होती हैं साथ ही जिससे जीवन का खतरा हो उसके प्राण लिए जा सकते हैं. भारत का संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को स्वयं की रक्षा हिफाजत के अधिकार देता हैं. इंडियन पीनल कोड की धारा 96 से 106 तक व्यक्ति के सेल्फ डिफेंस के अधिकार का विस्तृत विवेचन दिया गया हैं. आज के समय में जहाँ हर समय जीवन खोने का खतरा बना हुआ हैं ऐसे में खासकर बच्चियों तथा महिलाओं को स्व रक्षा की ट्रेनिंग देने की वेशेष आवश्यकता है हरेक नागरिक आत्मरक्षा के तरीकों के बारे तथा विकट परिस्थति से निपटने की शिक्षा देने की व्यवस्था की महत्ती आवश्यकता हैं जिससे वे अपने जान माल के नुकसान को होने से बचा सके.आत्मरक्षा के अधिकार के तहत व्यक्ति अपने प्राणों के बचाव के लिए किसी भी हद तक जा सकता हैं यहाँ तक कि उसे जीवन के खतरे को पैदा करने वाले को समाप्त करने का हक भी हैं. आत्म रक्षा का अधिकार का उपयोग या दुरूपयोग उस समय की स्थिति और हालातों पर ही निर्भर करता हैं. मगर आत्मरक्षा के अधिकार की ओट में किसी के घर आदि में जाकर मारपीट हमला या लूट को वैधानिक नहीं माना हैं इसका अस्तित्व परिस्थितियों से हैं जहाँ व्यक्ति के जीवन पर अकस्मात खतरा उत्पन्न हो जाए तथा जहाँ से बचने या मदद मांगने के समस्त राह समाप्त हो जाती हैं वहां आप वार कर अपनी क्षमता का उपयोग कर जीवन की रक्षा कर सकते हैं.प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वो स्वयं की रक्षा के तरीकों को जानकर स्वयं को इतना योग्य बनाए कि विकट हालातों में वह अपने जीवन का बचाव कर पाए. संविधान प्रदत्त स्वयंरक्षा के अधिकार के गलत प्रयोग न करते हुए इसे जीवन उपयोगी बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए. यदि हमें जीवन के खतरे का पूर्व आभास हो तो प्रशासन से सुरक�
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