History, asked by yogeshbourai, 1 year ago

Essay on Sh. Atal Bihari Vajpayee ' s contribution to encourage international peace and
harmony in Hindi

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Answered by Diyazree
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अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म  25 दिसंबर, 1924  को ग्वालियर में  हुआ था । उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी, एक स्कूल शिक्षक और कवि थे, और उनकी मां  का नाम कृष्णा देवी था। उनकी  ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से पढाई पूरी की और हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में विशिष्टता के साथ स्नातक किया। उन्होंने कानपुर में  डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया और राजनीति विज्ञान में एमए अर्जित किया। 1939 में, एक स्वयंसेवक के रूप में  वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए।

1951 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा के रूप में हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनसंघ (बीजेएस) पार्टी का  गठन किया गया था। वाजपेयी जनसंघ के सदस्य बने और अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि पहले लोकसभा, निचले सदन के लिए, 1957 में संसद के लिए चुने गए थे। 1977 में जनसंघ में  तीन अन्य दलों में शामिल कर के जनता पार्टी का संगठन किआ गया और इस पार्टी को  संसदीय चुनावों में बहुमत प्राप्त हुआ। विदेश मंत्री के रूप में, सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान के सिद्धांत पर पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधारने की कोशिश करने के लिए वाजपेयी जी की बहुत सराहना हुई। उनका कहना था "आप दोस्तों को बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसियों को नहीं ।" 


1991 में 120 सीटों पर जीत हासिल कर के भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी। 1993 में संसद में उन्हें विपक्ष का नेता चुना गया और नवंबर 1995 में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया था। वाजपेयी जी ने 1996 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी सरकार के सत्ता में आये हुए केवल एक महीन  ही हुआ था कि  मई 1998 में पोखरण में सफलतापूर्वक भूमिगत परमाणु परीक्षण किए गए । यह परिक्षण राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए किये गए थे। 21 फ़रवरी 1999 को वाजपेयी जे ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ एक लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए।  दोनों देश शांतिपूर्ण ढंग से और बातचीत के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे सहित मुद्दों को हल करने के लिए सहमत हुए। पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण और दोस्ताना संबंधों को बढ़ावा देने के लिए वाजपेयी सरकार ने दिल्ली-लाहौर बस सेवा 'सदा-ए-सरहद (फ्रंटियर के कॉल)' शुरू की। 


अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में मई और जुलाई 1999 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध हुआ था । भारतीय सेना और वायु सेना  ने पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ क्षेत्रों पर पुनः कब्जा कर लिया। कारगिल विजय ने राष्ट्र सक्षम नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिष्ठा को सुदृढ कर दिया। 2004 के चुनावों में भाजपा की हार के बाद वाजपेयी ने विपक्ष के नेता के रूप में काम करने के लिए मना कर दिया है; वह 2009 में संसद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपने भाषणों का संग्रह और  भारत की विदेश नीति पर  कई पुस्तकें लिखी हैं।  उन्हें अपने जीवनकाल में कई पुरुस्कारों से सम्मानित किआ गया - 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोमन्य् तिलक पुरस्कार , सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार और पंडित गोविन्द वल्लभ पंत पुरस्कार। 2015 में उन्हें रत्न भारत से सम्मानित किया गया।  उनके नेतृत्व में भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक विश्व नेता बन गया और देश का आर्थिक विकास हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी जी एक नि:स्वार्थ संसद और एक महान नेता थे जिन्होंने अपने शासनकाल में भारत को अंदर से ही नहीं बल्कि बहार से भी मज़बूत करने के भरसक प्रयास किये।  अगर राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए परमाणु  परिक्षण देश किये गए तो पडोसी देशों से समबन्ध सुधारने और अमन अवं शांति स्तापित करने की भी जी तोड़ कोशिश की गयी। 

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