essay on ship in Sanskrit
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I dont know sanskrit
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कभी हड्डियों को कंपा देने वाला शीत का प्रकोप, कभी आग की तरह जलती धरती और कभी वर्षा की ऐसी अंधेरी रातें कि हाथ को हाथ नहीं सूझता । पुन: शरद की स्वच्छ चाँदनी, आकाश मे चमचमाती नक्षत्रावली, शीतल मन्द सुगन्ध समीर और धरती से आकाश तक फैली हुई चाँदनी अनायास ही मन को मोह लेती है ।
चाँदनी रातों का हमारे जीवन मैं विशेष महत्त्व है । वे जीवन में उल्लास भरती हैं, जीवन को शक्ति देती है और आनन्द प्रदान करती है । चाँदनी रात में समुद्र में ज्वार आता है । भगवान कृष्ण भी चाँदनी रात में गोपिकाओं के साथ रासलीला रचाते थे । गोवर्धन की परिक्रमा भी चाँदनी रात में ही होती है । तुलसीदास ने भी वर्षा के बाद शरद् का स्वागत करते हुए लिखा है:
वर्षा विगद सरद रितु आई । लछिमन देखहु परम सुहाई ।।
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