Hindi, asked by ankita5645, 1 year ago

Essay on social media ka prachlan aur naitikta ka patan in hindi

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Answered by Yaduvanshi1boy
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ggbbfbgyibgbgubyffi CNN guxstntud CNN rvdy CNN acknowledgement woman mall pew pew pew you have any questions you may have been a while and then I can do that to you and I have a good time to go to sleep now so I'm going to the gym and I have a good time to go to sleep now so I don't know how to get a e I am not broken OK I guess I should be able to get the JFK I don't want you to come over to the hospital and they are so many things to be a little bit grumpy and the other room for the e S III you have to go to the gym today from my house is a great day and night and sweet potato pie for dessert we can go to the hospital and I don't want you to W I have a good day at work today so I'm going to be in a bit of a new phone number and I'll get back to the hospital and I don't want you to be in w I have a good day at work today so I'm going to be in a bit of a new for the next day and and it was so much
Answered by shreyakamarajup6i6ms
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वर्तमान में विकास से सम्बन्धित अनेक पद प्रचलित हैं। इनमें समावेशी विकास, संतुलित विकास, संवहनीय विकास और सतत विकास आदि प्रमुख हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि विकास एक बहुआयामी शब्द या पद है। विकास गुणात्मक और मात्रात्मक या संख्यात्मक दोनों है। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि विकास की अवधारणा एक नहीं, अनेक हैं। भिन्न-भिन्न समाजों, परंपराओं, दर्शनों और सभ्यताओं में विकास को अलग-अलग प्रकार से धारण किया गया है। विकास की धारणा विभिन्न कालखंडों में परिवर्तित होती रही है।
सोशल मीडिया संचार का अत्याधुनिक माध्यम
मानव सभ्यता के विकास में संचार की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। संचार सार्वकालिक और सार्वभौमिक है। मानव सभ्यता के प्रारंभिक काल से ही संचार के विभिन्न रूपों और माध्यमों की जानकारी मिलती है। मानव विकास के साथ-साथ संचार के रूपों, प्रारुपों, साधनों, उपकरणों, माध्यमों, तरीकों आदि का भी विकास होता आया है। डिजिटल मीडिया और इसके ही एक प्रारूप सोशल मीडिया को संचार के अत्याधुनिक माध्यम के तौर पर जाना जाता है। अत्याधुनिक संचार माध्यम अर्थात नया मीडिया का मूलभूत कारक इंटरनेट है। यह अनेक कम्प्यूटरों को आपस में बिना तार के जोड़नेवाला नेटवर्क है। सामान्यत: सोशल मीडिया से आशय वेबसाइट और एप्लिकेशन आधारित एक ऐसी तकनीकी व्यवस्था से है जिसमें एक जैसे विचार के लोगों को आपस में साझेदारी, संदेशों के आदान-प्रदान का अवसर व क्षमता प्रदान करता है। सोशल मीडिया सिर्फ संचार नहीं है, यह संवादात्मक संचार है। इसमें उपयोगकर्ता को कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। उपयोगकर्ता न सिर्फ सूचनाएं, विचार व अभिरुचियां ही, वरन अपनी प्रतिक्रियाएं, टिप्पणियां आदि भी फोटो, वीडियो और संकेत-चिह्नों के माध्यम से प्रेषित कर सकता है। इसमें सबसे खास बात यह है कि कोई भी उपयोगकर्ता अपनी पसंद, रुचि और अनुकूलता के आधार पर व्यक्ति की पहचान कर उससे सम्पर्क कर मित्र बन या बना सकता है।
निश्चित ही संचार तकनीक ने एक नई दुनिया को जन्म दिया है। इस नई दुनिया का नाम है आभासी दुनिया अर्थात वर्चुअल वर्ल्ड। यह ऐसी दुनिया है जहां अत्यंत निकट का अथवा कोसों दूर बैठा व्यक्ति आपसे जुड़ सकता है, अपनी बात कह सकता है, आपकी बात पढ़-सुन सकता है। एक ऐसी व्यवस्था जहां दूरी और समय बहुत कम प्रासंगिक रह गये हैं। यह एक ऐसी संचार-संवाद की व्यवस्था है जहां तकनीक पर निर्भरता के अलावा आप बहुत स्वतंत्र और स्वावलंबी होते हैं। इसके द्वारा उपयोगकर्ता अपने विचारों, भावनाओं, सूचनाओं आदि को विभिन्न प्रारूपों में साझा करता है। तीव्रता, स्वतंत्रता और तकनीक पर निर्भरता सोशल मीडिया की प्रमुख विशेषता प्रतीत होती है।
सोशल मीडिया पूर्णत: तकनीक आधारित माध्यम
सोशल मीडिया पूर्णत: डिजिटल माध्यम है। यह तकनीक आधारित साझेदारी है। बिना तकनीक और उपकरण के यहां सम्प्रेषण की कल्पना भी बेमानी है। इसीलिये कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया के लिये कम्प्यूटर या मोबाइल उपकरण अनिवार्य है। दरअसल सोशल मीडिया का उपयोगकर्ता यहां अपने-अपने उपकरणों की साझेदारी करता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैन्युअल कैसट्ल के मुताबिक सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों फेसबुक, ट्विटर आदि के जरिए जो संवाद करते हैं, वह मास कम्युनिकेशन न होकर मास सेल्फ कम्युनिकेशन है। मतलब हम जनसंचार तो करते हैं लेकिन जन स्व-संचार करते हैं और हमें पता नहीं होता कि हम किससे संचार कर रहे हैं। या फिर हम जो बातें लिख रहे हैं, उसे कोई पढ़ रहा या देख रहा भी होता है।
सोशल मीडिया मुद्रित या इलेक्ट्रानिक माध्यमों (मीडिया) से गुणवत्ता, पहुंच, आवृत्ति, उपयोगिता, तात्कालिकता और स्थायित्व की दृष्टि से बहुत भिन्न है। इसमें अनेक सूचना प्रदाता और अनेक सूचना ग्राहक या प्रापक होते हैं। अधिकांशत: ये एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। जबकि मुद्रित एवं इलेक़्ट्रानिक माध्यम सामान्यत: एकालापी (मोनोलोगिक) होते हैं, जिसमें एक सूचनादाता और अनेक ग्राहक/प्रापक होते हैं।
आज अनेक सोशल मीडिया के वेबसाइट प्रचलन में हैं। इनके उपयोगकर्ताओं की संख्या करोड़ों में है। विश्लेषकों ने इसके नाकारात्मक व सकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया है। सोशल मीडिया समान रुचि, विचार के व्यक्तियों को जोड़ने व अपना समुदाय विकसित करने की सहूलियत देता है। यह वाणिज्य व व्यापारिक गतिविधियों के लिये भी काफी उपयोगी है। वर्तमान समय में राजनीतिक दल भी बढ़-चढ़कर उपयोग कर रहे हैं। किंतु सोशल मीडिया का उपयोग नकारात्मक और असामाजिक गतिविधियों के लिये भी खूब हो रहा है। यह नकारात्मक उपयोग और नकारात्मक प्रभाव अपेक्षाकृत अधिक दर्ज किया जा रहा है। अध्ययन के अनुसार, इंटरनेट उपयोगकर्ता अन्य वेबसाइट की तुलना में सोशल नेटवर्किंग साइट पर कई गुणा अधिक समय व्यतीत करते हैं। १३ से १७ वर्ष आयु के ६० प्रतिशत से अधिक किशोरों ने अपना खाता सोशल नेटवर्किंग साइट पर बना रखा है। सोशल मीडिया का उपयोग वाणिज्य, व्यापार और प्रबंधन के लिये भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके द्वारा ग्राहकों की पहचान, उनसे सम्पर्क और इस सम्बंध को निरंतर बनाये रखने तथा विज्ञापन आदि कार्य किया जा रहा है। जन सामान्य तक पहुंच होने के कारण सामाजिक मीडिया को लोगों तक विज्ञापन पहुंचाने का सबसे अच्छा जरिया समझा जाता है।
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