Hindi, asked by AbhishekA4210, 1 year ago

Essay on social worker baba amte in hindi

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Answered by Invisible11
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बाबा आमटे पर निबन्ध |

1. प्रस्तावना:

इस संसार में कुछ लोग अपने लिए जीते हैं, तो कुछ लोग देश लिए जीते हैं और कुछ लोग समाज के लिए जीते हैं । ऐसा जीवन जीने वाले व्यक्तियों से कुछ अलग व्यक्तित्व है-बाबा आमटे का, जो न केवल समाज के लिए जीये, वरन् दूसरों के लिए, अर्थात् परोपकार के लिए अपना जीवन ही समर्पित कर दिया ।

2. जन्म परिचय:

बाबा आमटे का पूरा नाम मुरलीधर देवदास आमटे था । उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था । बचपन से ही समाज सेवा एवं देश सेवा का भाव उनके मन में कूट-कूटकर भरा था ।

3. उनके कार्य और विचार:

बाबा आमटे का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए आनन्दवन नामक संस्था की स्थापना का था । जब वे 35 वर्ष के थे, तब उन्होंने उसकी स्थापना की थी । आज वह एक विशाल रूप धारण कर चुकी है । आनन्दवन के साथ ही उन्होंने एक अन्ध विद्यालय की स्थापना भी की । गरीब, बेसहारा बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उन्होंने गोकुल नामक संस्थान का गठन व संचालन किया ।

जब पंजाब में आतंकवाद का साया मण्डरा रहा था, कुछ गुमराह नवयुवक भारत की अखण्डता को तोड़ने में लगे थे, गांवों और शहरों में निहत्थे, निर्दोष नागरिकों की हत्याएं कर रहे थे, जहां बच्चे, बूढ़े और विधवा महिलाएं आसू भरे दिन गुजार रहे थे, भटके हुए पंजाबी नवयुवक पाकिस्तान जैसे शत्रु के साथ मिलकर न केवल आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे, वरन् पंजाब को खालिस्तान बनाने में लगे हुए थे, आतंकवाद के साये तले निर्दोष नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था, ऐसा लग रहा था, जैसे देश को कुछ गुमराह लोग तोड़ने में लगे हैं, ऐसे ही समय में 72 वर्ष की अवस्था में पंजाब जाकर वहां से भारत जोड़ो आन्दोलन का सूत्रपात किया।

जालन्धर, लुधियाना, कपूरथला, बटाला, नकोदर आदि स्थानों पर जाकर आतंकवाद से पीड़ित लोगों के औसू पोंछे, साथ ही 24 दिसम्बर 1985 को कन्याकुमारी से आरम्भ किये हुए इस भारत जोड़ो आन्दोलन के सिलसिले में 5,000 कि०मी० तक की पदयात्रा की ।

Answered by sahupharma0987
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Explanation:

Murlidhar Devidas Amte, popularly known as Baba Amte,[2] (26 December 1914 – 9 February 2008) was an Indian social worker and social activist known particularly for his work for the rehabilitation and empowerment of people suffering from leprosy.

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