essay on statue of unity in Gujarat in Sanskrit
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सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गयी थी।[14] इस मूर्ति को बनाने के लिये लोहा पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया।[15] सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने इस कार्य हेतु पूरे भारतवर्ष में 36 कार्यालय खोले,[15] जिससे लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया।[16] इस अभियान का नाम "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान" दिया गया।[17][18] 3 माह लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया।[18] इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया।[19] हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की गयी थी कि संग्रहित किया गया लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जायेगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका; और इसे परियोजना से जुड़े अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।[20]
मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया जिसपर हस्ताक्षर हुए हों।[17] इसके अतरिक्त 15 दिसम्बर 2013 को एक "रन फॉर यूनिटी" नामक मैराथन का भी पूरे भारतवर्ष में आयोजन हुआ।[21] इस मैराथन में भी बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
Answer:
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता कार्यकर्ता वल्लभभाई पटेल (1875-1950) की एक विशाल प्रतिमा है, जो स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे
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