Hindi, asked by unknown123456167, 6 months ago

essay on sunita williams in hindi​

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Answered by srivastvaayushi7
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भारत और भारतीय मूल की महिलाएँ आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं । अब उनके लिए अन्तरिक्ष भी दुर्गम नहीं रह गया है । भारत में जन्मी कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष यात्रा पूर्ण करके भारत को गौरवान्वित किया है ।

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के ओहियो प्रान्त में हुआ था । उनके पिता का नाम दीपक पाण्ड्या और माता का नाम बोनी पाण्ड्या है । उनके पिता मूल रूप से भारत के गुजरात राज्य के रहने वाले हैं । गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित झुलासन उनका पैतृक गाँव है ।

जन्म से ही अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स का भारत से इतना ही सम्बन्ध है । वर्ष 1983 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद सुनीता ने वर्ष 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडक से भौतिक विज्ञान की डिग्री अर्जित की । इसके बाद उन्होंने वर्ष 1987 में ही अमेरिकी नौसेना में कार्यभार सँभाला ।

बाद में विलियम्स ने वर्ष 1996 में फ्लोरिडा इंस्टीट्‌यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर डिग्री प्राप्त की । नौसेना में रहते हुए सुनीता विलियम ने विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ़्ट उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया । गौरतलब है कि नासा द्वारा अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयनित किए जाने से पूर्व उन्हें 30 से अधिक एयरक्राफ़्ट उड़ाने एवं 3,000 से भी अधिक फ्लाइंग घण्टों का अनुभव था ।

बेसिक ड्राइविंग ऑफिसर के रूप में अमेरिकी नौसेना के साथ अपना करियर शुरू करने वाली सुनीता विलियम्स का नासा के लिए चयन वर्ष 1998 में हुआ । अगस्त, 1998 में जॉनसन स्पेस सेण्टर में उनका अन्तरिक्ष यात्री बनने का प्रशिक्षण आरम्भ हुआ ।

उनकी पहली अन्तरिक्ष उड़ान 9 दिसम्बर, 2006 को डिस्कवरी यान के साथ शुरू हुई थी । यह यान 11 दिसम्बर, 2006 को उन्हें लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुँचा । 192 दिन अन्तरिक्ष में रहने के बाद 22 जून, 2007 को धरती पर सुनीता की वापसी हुई ।

इस दौरान उन्होंने अपने 14 अन्तरिक्ष साथियों के साथ नासा द्वारा निर्देशित कार्यक्रमों को अंजाम दिया । विलियम्स का दूसरा अन्तरिक्ष अभियान 14 जुलाई, 2012 को शुरू हुआ । इस बार उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस सेण्टर में 4 महीने व्यतीत किए और अनेक अनुसन्धान किए । इस बार उनकी वापसी 18 नवम्बर, 2012 को हुई । सौभाग्य से उनकी दोनों ही अन्तरिक्ष यात्राएँ सफल रहीं ।

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