Essay on surajaya for me means
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सुराज अर्थात सुशासन ,मेरी दृष्टि मे वह शासन व्यवस्था है ,जिसमे देश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास हो , सभी नागरिकों का कल्याण हो और जीवन के लिए आवश्यक सभी मूल सुविधाएं उपलब्ध हो। सुराज से तात्पर्य ऐसी राज व्यवस्था से है जिसमे चारों ओर खुशहाली हो। गरीबी और बेरोजगारी न हो । सभी को रहने के लिए घर और खाने के लिए भोजन और पीने के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता हो। सभी नागरिकों को चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध हो । शहरो के साथ साथ गाँव का भी विकास हो । अपराध रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाए जाये। दहेज प्रथा , बाल विवाह , बाल मजदूरी जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर किया जाये। सभी बच्चो को शिक्षा की सुविधा दी जाये। हमारी शिक्षा प्रणाली में भी कई परिवर्तन की आवश्यकता है जिससे हम भी अन्तर्रास्त्रयीय स्तर की शिक्षा मुहैया करा सके।देश को आत्मनिर्भर एवं पूर्ण विकसित किया जाये। अगर इन सब लक्ष्यों को हासिल किया जाये तो वह स्थिति सुराज ही कहलाएगी। सुराज स्थापित करने के लिए सबसे पहले तो भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्या का जड़ से उन्मूलन करना होगा। भ्रष्टाचार होने से अगर शासन कोई नई योजना लागू भी करता है तो उसका पूर्ण लाभ जनता तक नहीं पहुँच पाता। भ्रष्टाचार , सुराज की राह मे सबसे बड़ा अवरोध है। न केवल सरकार बल्कि देश के नागरिकों को भी अपने कर्तव्य का पालन करना होगा तभी सुराज आएगा।
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