essay on swachh bharat in hindi
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clean india essay
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स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलायी गयी एक स्वच्छता मिशन है। यह अभियान 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145 वें जन्मदिन के अवसर पर भारत सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था| यह राजघाट, नई दिल्ली जो की महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार का स्थान है, में शुरू किया गया था। भारत सरकार २ अक्टूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ भारत बनाने का उद्देश्य रखी है जो की महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती होगी|यह एक राजनीति मुक्त अभियान है और देशभक्ति से प्रेरित है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जिम्मेदारी है और इस देश को स्वच्छ देश बनाने के लिए हर भारतीय नागरिक की भागीदारी की आवश्यकता है| इस अभियान को सफल बनाने के लिए विश्व स्तर पर लोगों ने पहल की है। शिक्षक और स्कूल के छात्र इसमें पूर्ण उत्साह और उल्लास के साथ शामिल हो रहे है और 'स्वच्छ भारत अभियान' को सफल बनाने का प्रयास कर रहे है|
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स्वच्छ भारत अभियान - अब एक साल के बाद
महात्मा गाँधी का एक सपना था कि सब भारतवासी स्वच्छता और शुद्धता के बारे में जानें, सीखें और उसका अमल करें। इसी लिए महात्मा गांधीजी के जनम दिन पर, 2 अक्टोबर 2014 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान का आरंभ किया। उन्हों ने खुद भी हिस्सा लिया और एक रास्ता साफ किया। अब तो अभियान एक साल का हो गया । अभियान 2019 तक चलेगा । अर्बन डेवलपमेंट(विकास भाग) मंत्रालय इस के लिए शहरों में काम करेगा और गाओं में “निर्मल भारत अभियान के नाम पर ग्रामीण मंत्रालय ये काम करेगा ।
इस अभयान का मुख्य उद्देश्य है सब सड़कों को , सार्वजनिक जगहों को कूड़ा निकलकर साफ करना, लोगोंको सफाई की तरीकें सिखाना। और सब लोगों के लिए पीने के लिए शुद्ध और स्वच्छ पानी का इंतजाम करना । लोगों के घरों में , सरकारी विद्यालयों में और सार्वजनिक जगहों में स्वच्छता शौचालय के निर्माण करना । शहरों और गावों में भी यह सब इंतजाम करना है । हर गाँव और शहर में म्यून्सीपालिटी के स्वच्छता के काम जो होते हैं हर दिन, उनको ठीक करवाना। उनके इंतजाम जहां पर अभी तक नहीं हैं, वहाँ पर नए प्रबंधन करना ।
अनेक रविवार और शनिवार को सरकार कर्मचारी, अफसर, राजकीय नायक , प्रसिद्ध सिनेमा कलाकार , समाजिक सेवा संघ और बहुत सारे लोग इस अभियान में भाग लिया । गरीब लोगों को सफाई और स्वास्थ्य के बारे में स्वच्छता के तरीके सिखाये गए । माता अमृतानंदमयी ने इस के लिए तो चार सालों से काम किया है। उन्हों ने महिलाओं को शिक्षा भी दिया है। और एक 100 करोड़ रुपये भारत सरकार को दिया है इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए।
अखबार, टीवी और रेडियो पर प्रसारणों और चर्चाओं लोगों की जानकारी बढी है । नमामि गंगे के नाम पर गंगा नदी को सॉफ करने का काम भी शुरू किया गया। बहुत राज्यों में भी स्वच्छ भारत, स्वच्छ शहर नामों से अभियान शुरुवाद हो गये । इस अभियान से सब का स्वास्थ्य बढ़े, यही आशा है।
महात्मा गाँधी का एक सपना था कि सब भारतवासी स्वच्छता और शुद्धता के बारे में जानें, सीखें और उसका अमल करें। इसी लिए महात्मा गांधीजी के जनम दिन पर, 2 अक्टोबर 2014 को प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान का आरंभ किया। उन्हों ने खुद भी हिस्सा लिया और एक रास्ता साफ किया। अब तो अभियान एक साल का हो गया । अभियान 2019 तक चलेगा । अर्बन डेवलपमेंट(विकास भाग) मंत्रालय इस के लिए शहरों में काम करेगा और गाओं में “निर्मल भारत अभियान के नाम पर ग्रामीण मंत्रालय ये काम करेगा ।
इस अभयान का मुख्य उद्देश्य है सब सड़कों को , सार्वजनिक जगहों को कूड़ा निकलकर साफ करना, लोगोंको सफाई की तरीकें सिखाना। और सब लोगों के लिए पीने के लिए शुद्ध और स्वच्छ पानी का इंतजाम करना । लोगों के घरों में , सरकारी विद्यालयों में और सार्वजनिक जगहों में स्वच्छता शौचालय के निर्माण करना । शहरों और गावों में भी यह सब इंतजाम करना है । हर गाँव और शहर में म्यून्सीपालिटी के स्वच्छता के काम जो होते हैं हर दिन, उनको ठीक करवाना। उनके इंतजाम जहां पर अभी तक नहीं हैं, वहाँ पर नए प्रबंधन करना ।
अनेक रविवार और शनिवार को सरकार कर्मचारी, अफसर, राजकीय नायक , प्रसिद्ध सिनेमा कलाकार , समाजिक सेवा संघ और बहुत सारे लोग इस अभियान में भाग लिया । गरीब लोगों को सफाई और स्वास्थ्य के बारे में स्वच्छता के तरीके सिखाये गए । माता अमृतानंदमयी ने इस के लिए तो चार सालों से काम किया है। उन्हों ने महिलाओं को शिक्षा भी दिया है। और एक 100 करोड़ रुपये भारत सरकार को दिया है इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए।
अखबार, टीवी और रेडियो पर प्रसारणों और चर्चाओं लोगों की जानकारी बढी है । नमामि गंगे के नाम पर गंगा नदी को सॉफ करने का काम भी शुरू किया गया। बहुत राज्यों में भी स्वच्छ भारत, स्वच्छ शहर नामों से अभियान शुरुवाद हो गये । इस अभियान से सब का स्वास्थ्य बढ़े, यही आशा है।
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