essay on swadesh prem
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हमारी जन्मभूमि हैं जिसे हम अपनी मातृभूमि अर्थात माँ की भान्ति मानते हैं। इसी देश में पल-बढ़ कर हम विकास की और अग्रसर हो रहे हैं तथा एक अच्छे जीवन को जीने का अवसर प्राप्त कर रहे हैं। हमारी जन्मभूमि ही हमें सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ और रोज़गार देती हैं. अत: हमें अपनी मातृभूमि से स्वत: ही प्रेम होना चाहिए।
अपने देश के प्रति आदर और प्रेम की भावना रखना हमारा कर्तव्य हैं। देश की रक्षा व सम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें अपने देश के वातावरण को शांत व अच्छा बनाये रखने के लिये आपसी सदभाव व भाईचारे की भावना के साथ रहना चाहिए। स्वदेश प्रेम में अपना व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं होता, हमें अपने देश के विकास के लिए बिना किसी स्वार्थ के प्रयास करना चाहिए तथा देश की संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए। अनेकता में एकता हमारे देश में रची बस्ती हैं। हमें धर्म, जाती तथा सम्प्रदाय के नाम पर लड़ाई झगडे नहीं करने चाहिए औए सभी धर्मों के साथ मिलजुलकर के शांतिपूर्वक जीवन जीना चाहिए। हमें सभी देशवासियों को शिक्षित बनाने में सहयोग करना चाहिए। देश की सार्वजानिक सम्पति जैसे परिवहन के साधन, बिजली, पानी आदि का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। घर तथा घर के आस पास पूरी तरह स्वच्छता रखनी चाहिए।
इस प्रकार हम हमने स्वदेश से प्रेम करके अपने देश को हर प्रकार से उन्नतिशील बना सकते हैं. देश के लोगों को नागरिक अधिकारों के साथ ही कर्तव्य का भी ज्ञान होना चाहिए। देश के सच्चे नागरिक बनकर ही हम अपने देश से सच्चा प्रेम व्यक्त कर सकतें हैं।