essay on tanavon se ghira mahanagron ka jeevan in hindi of 300 words
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student-nameSnkotalwar... asked in Hindi
essay on tanav se ghira mahanagar ka jeevan
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student-nameSavitri Bisht answered this
in Hindi, Class
महानगरों का जीवन, रहन-सहन तथा खानपान ग्रामीण जीवन से भिन्न होता है। महानगरों का जीवन चकाचौंध से भरा है। यहाँ का रहन-सहन बहुत उच्च होता है। यहाँ पर बिजली, पानी, नौकरी, चिकित्सा तथा, शिक्षा आदि की पूर्ण सुविधाएँ प्राप्त होती है। महनगरों की रातें सुनसान नहीं होती बल्कि इसमें भी आधा शहर जगा हुआ होता है। परन्तु इन सबके बावजूद महनगरीय जीवन में बहुत सी कठिनाई भी विद्यमान है। मनुष्य स्वयं को सुविधासंपन्न बनाने के लिए इतना प्रयासरत्त होता है कि उसे अपने जीवन के लिए विश्राम के क्षण ही नहीं मिलते। दूसरे को पीछे छोड़ने प्रतिस्पर्धा में वह निरतंर भागता चला जाता है, जिससे तनाव, अनिद्रा तथा निराशा मन में व्याप्त रहती है। महानगरीय जीवन लोगों को मानसिक रोगी बना देता है। यहाँ पर अपराधों की संख्याम में दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की हुई है। यहाँ पर रहने वाले नगरिक रात में तो क्या दिन में भी सुरक्षित नहीं है। अतः महानगरीय जीवन में असुरक्षा की भावना अधिक विद्यमान है। मनुष्य ने सुविधा और आधुनिकता के नाम पर प्रदूषण को बहुत ही बढ़ाया है और महानगर उस श्रेणी में सबसे प्रथम में है। यहाँ की वायु में जहरीली गैसों का समावेश है, स्थान-स्थान पर गंदगी के विशाल ढेर लगे हुए हैं, पानी आता तो है परन्तु उसकी स्वच्छता का विश्वास करना कठिन है। ऐसे वातावरण में रहने वाले लोग विभिन्न तरह की बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। ध्वनि का शोर दिन में तो क्या रात को भी चैन से सोने नहीं देता है। यही परिणाम है कि महानगरों में रहने वाले नगारिक हमेशा पर्वतीय प्रदेशों की शरण में चले जाते हैं। महानगरीय जीवन की चमक-दमक सुनने में अच्छी है परन्तु यहाँ का जीवन बहुत कष्टप्रद है।