essay on Telangana in hindi
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पहले तेलंगाना का प्रदेश आंध्र प्रदेश का ही हिस्सा था। भारत को आजादी मिलने से पहले तेलंगाना हैदराबाद का हिस्सा था और इसपर निजाम का शासन था। उस समय इसमें वारंगल और मेदकवास भी शामिल था लेकिन सन 1948 में इसे भारत में शामिल किया गया था।
तेलंगाना को राज्य बनाने के लिए सन 1969 के समय से शुरुवात की गयी थी। जैसे साल बीतते गए उसके साथ ही तेलंगाना को राज्य बनाने की मांग जोर पकडती रही। तेलंगाना को राज्य बनाने के लिए 1969, 1972 और 2009 मे भी बड़े बड़े आन्दोलन किये गए। इस तरह से आन्दोलन करने की वजह से ही तेलंगाना को राज्य बनाने में सहायता मिली।
तेलंगाना को राज्य बनाने की घोषणा भारत सरकार ने 9 दिसंबर 2009 को अधिकारिक रूप से की थी। लेकिन इसके विरोध में रायलसीमा के कुछ आमदार और खासदार ने अपने पदो से इस्तीफा दे दिया था।
सरकार की इस घोषणा को सुनने के बाद तेलंगाना के प्रदेश में भी कई जगहों पर हिंसा हुई। लेकिन इस बढती हुई हिंसा को ध्यान में रखते हुए दिसंबर 2009 में भारत सरकार ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की और उसे वही पर रहने दिया। मगर तेलंगाना राज्य को लेकर तेलंगाना के अन्य प्रदेशो में आन्दोलन लगातार चलते रहे जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
लेकिन जब 30 जुलाई 2013 को कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना राज्य बनाने की घोषणा की तो यह आन्दोलन और भी उग्र होता गया। इस तरह की घोषणा करने के बाद अगले दास सालों तक हैदराबाद को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला किया गया। सरकार के इस फैसले को केंद्रीय मंत्रिमडल ने 3 अक्तूबर 2013 को मंजूरी दे दी।
तेलंगाना राज्य विधेयक को भारत सरकार की 5 दिसंबर 2013 को मंजूरी मिलने के बाद उस विधेयक को पास करने के लिए संसद में रखा गया। 18 फरवरी 2014 को 15 वी लोक सभा ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी और राज्य सभा ने भी 20 फरवरी 2014 को इस विधेयक को हरी झंडी दे दी।
भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी 1 मार्च 2014 को तेलंगाना राज्य को लेकर मंजूरी दे दी थी और इस फैसले को लेकर उसी दिन राजपत्र अधिसूचना भी निकाली गयी। 4 मार्च 2014 को भारत सरकार ने घोषित किया था की तेलंगाना राज्य की निर्मिती की जाएगी और 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य का निर्माण किया गया।
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तेलंगाना की संस्कृति : तेलंगाना के भारतीय राज्य में लगभग 5,000 वर्षों का सांस्कृतिक इतिहास है। हिन्दू काकातिया वंश और मुस्लिम कुतुब शाही और आसफ़ जाही राजवंश (जिसे हैदराबाद के निज़ाम भी कहा जाता है) के शासन के दौरान यह क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में संस्कृति का सबसे प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। शासकों के संरक्षण और कला और संस्कृति के लिए रुचि ने तेलंगाना को एक अद्वितीय बहु-सांस्कृतिक क्षेत्र में बदल दिया जहां दो अलग-अलग संस्कृतियां एक साथ मिलती हैं, इस प्रकार तेलंगाना को दक्कन पठार के प्रतिनिधि और वारंगल और हैदराबाद के साथ इसकी विरासत बनाते हैं। मनाए गए क्षेत्रों की प्रमुख सांस्कृतिक घटनाएं " ककातिया महोत्सव" और दक्कन महोत्सव हैं, धार्मिक त्यौहारों के साथ बोनालू , बाथुकम्मा , दशहरा , उगादी , संक्रांति , मिलद अन नबी और रमजान।
तेलंगाना का नक्शा।
तेलंगाना राज्य लंबे समय से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लिए एक बैठक स्थान रहा है। इसे "दक्षिण के दक्षिण और दक्षिण के उत्तर" के रूप में जाना जाता है। [2] यह अपने गंगा-जमुना तहसीब के लिए भी जाना जाता है और राजधानी हैदराबाद को लघु भारत के रूप में जाना जाता है।