English, asked by NazzNaser9560, 1 year ago

Essay on the essay on GST for standard 7th in English

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Answered by adi6824
7
A just and viable tax regime is vital for the sustainable economic growth and fiscal consolidation of any economy in the world.

This assumes a greater importance in a developing economy like India where although we have a high demographic dividend, we are yet to convert it to the proportionate human capital, which will in turn benefit the social and economic growth of the country.

In order to facilitate this, we need a conducive environment as we push forward towards becoming a better developed nation.

In order to become a more economically developed nation, we need a transparent, just, equitable and fair taxation system that is easy to administer.

The essential rationale behind this is that the taxation system should be reasonable and non-discriminatory in respect to both the direct taxes payable by individuals and the indirect taxes payable by corporations and industries so as to make them more tax-compliant and bring the larger populace in the taxation net to in turn aid the government in taking development projects.

Goods and Services Tax (GST) is a reformatory legislation which is a single tax on the supply of goods and services, right from the manufacturer to the consumer.

Credits of input taxes paid at each stage will be available in the subsequent stage of value addition , which makes GST essentially a tax only on value addition at each stage.

The final consume will thus bear only the GST charged by the last dealer in the supply chain with set-off benefits at all the previous stages.

Answered by DIVINEREALM
72

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...HERE GØΣS UR ANS...

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\huge{\bold{\red{HELLO\:!!}}}

\huge{\underline{\bold{\red{\mathbf{GST}}}}}

भारत में वर्ष 1991 से कर सुधारों की जिस प्रक्रिया की शुरुआत हुई है, उसका उद्देश्य पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक समान कर प्रणाली को लागू करना है, जिससे करारोपण की प्रक्रिया को सहज और सरल बनाते हुए कर प्रणाली की जटिलता को कम किया जा सके| इससे एक और जहां भारत में बेहतर प्रतीस्पर्धात्मक कारोबारी माहौल बनाने में सहूलियत होगी, वहीं दूसरी और इससे सरकार के राजस्व में तीव्र वृद्धि की भी संभावना है|

इस संदर्भ में अप्रत्यक्ष करों में सुधार की दिशा में वैट (मूल्य संवर्द्धित कर) की अगली कड़ी के रुप में “वस्तु एवं सेवा कर” एक महत्वपूर्ण पड़ाव है| वस्तु एवं सेवा कर वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाया जाने वाला एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर है, जिससे केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य स्तरीय वेट, चुंगी, क्रय कर, विलासिता कर, मनोरंजन शुल्क, सेवा कर आदि शामिल है|

वस्तु एवं सेवा कर का आरोपण आपूर्ति एवं उपयोग के अंतिम चरण पर किया जाएगा| यह कर मूल्यवर्धन के प्रत्येक स्तर पर अनिवार्य रूप से लगाया जाएगा| इसमें प्रत्येक चरण पर किसी भी आपूर्तिकर्ता को टैक्स क्रेडिट सिस्टम के माध्यम से इसकी भरपाई करने की अनुमति होती है| इसमें ग्राहक को केवल आपूर्ति श्रृंखला के अंतिम चरण पर आरोपित कर का ही भुगतान करना होता है|

वस्तु एवं सेवा संबंधी कर सुधार को स्वतंत्रता के पश्चात किया जाने वाला सबसे बड़ा एवं दूरगामी प्रभाव वाला कर-सुधार बताया जा रहा है| इसकी पृष्ठभूमि वर्ष 2006-07 के बजट में तैयार होते देखी जा सकती है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसे प्रस्तावित करते हुए 1 अप्रैल, 2010 से लागू करने की बात कही थी|

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\bold{\huge{\boxed{\red{\mathbf{ThankYou}}}}}

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