Essay on धरती की यह है पीर न जंगल है न नीर
Answers
धरती को माता के समान माना जाता है। जिस प्रकार एक माँ अपने बच्चों के लिए अपना सब कुछ निछावर कर देती है उसी प्रकार धरती भी हम लोगों के लिए अनंत उपकार करती है। धरती का सबसे पहला उपकार तो यह है कि वह हमारा बोझ उठाती है और हमें रहने का स्थान देती है। वह हमारे भवनों को टिका रखती है।
धरती न केवल हमारे आशियाँ परन्तु हमारे उद्योगों को भी आश्रय देती है। एक कुम्हार का काम सीधा मिट्टी पर आधारित होता है।
वह अपनी उपजाऊ मिट्टी में अन्न को उत्पन्न करती है। जिससे हमें जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार - भोजन प्राप्त होता है। धरती पेड़ों का पोषण करती है। पेड़ हमारे बहुत काम आते हैं। धरती पर सुंदर फूल उगते हैं जो हमारे मन को बहलाते और खुश करते हैं। इस प्रकार धरती के हमपर अनंत उपकार हैं।
परन्तु मानव ने स्वार्थ के कारण धरती पर उपलब्ध साधनों का अनुपयुक्त उपयोग करा है।
वनों को काटकर उस भूमि अन्य कामों के लिए उपयोग किया जा रहा है। लकड़ी को इंधन, फर्नीचर बनाने आदि कामों के लिए बिना नियंत्रण के इस्तेमाल करा जा रहा है। इस प्रकार धरती पर वन क्षेत्र की कमी हो गयी है।
नदियाँ हमारे लिए धरती की अमूल्य भेंट हैं। परन्तु मानव ने उन्हें प्रदूषित कर दिया है। उनके पानी का दुरूपयोग करा है। उनकी सही देखभाल नहीं करी है जिसके कारण आज नदियाँ सूख जा रही हैं।
इसीलिए कहा जाता है कि धरती की यह है पीर न जंगल है न नीर।