English, asked by shruti00000023, 11 months ago

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Answered by sunidhikumari
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दहेज प्रथा से अभिप्राय उस धन सामग्री और संपत्ति आदि से होता है जो कि विवाह में कन्या पक्ष की ओर से वर पक्ष को दी जाती है। इसके अतिरिक्त यह धनराशि विवाह से पूर्व भी तय करके कन्या पक्ष वाले वर पक्ष वालों को दे दिया करते हैं। प्राचीन काल में तो इस दहेज प्रथा का प्रचलन केवल ऊंचे कुलों में ही होता था परंतु वर्तमान युग में तो यह प्रायः प्रत्येक परिवार में ही प्रारंभ हो गई है। 


इस दहेज प्रथा के कारण विवाह एक व्यापार प्रणाली बन गया है। यह हिंदू समाज का शत्रु तथा उस पर एक कलंक के समान है। इसमें ना जाने कितने घर बर्बाद कर दिए हैं। कितनों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है तथा कितनी ही कुमारियों को अल्प आयु में ही घुट-घुट कर मरने को विवश कर दिया है। इस प्रथा के कारण समाज में बाल विवाह, अनमेल विवाह तथा विवाह-विच्छेद जैसी अनेक कुरीतियों ने जन्म ले लिया है। इससे समाज की प्रगति रुक गई है। इसी दहेज प्रथा के कारण कितनी ही नारियां विवाह के उपरांत जलाकर मार दी जाती हैं। इसके कारण बहुत से परिवार तो लड़की के जन्म लेते ही दुखी हो जाते हैं। 


यह हमारे समाज के लिए एक अभिशाप सा है। इससे छुटकारा पाने के लिए हमें भरसक प्रयत्न करने चाहिए। इसके लिए हम नवयुवकों को अंतर्जातीय विवाह के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं क्योंकि इससे वर ढूंढने का क्षेत्र विस्तृत हो जाता है। इसके अतिरिक्त सरकार को समाज सुधारको, कवियों, उपन्यासकारों, पत्रकारों तथा चलचित्र निर्माताओं आदि की सहायता से समाज में दहेज के विरुद्ध प्रचार करना चाहिए। स्त्री शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि वे इस प्रथा का डटकर सामना कर सकें। यह दहेज प्रथा हमारे समाज में अनेकों अबलाओं को नित्यप्रति काल के ग्रास में पहुंचा रही है। यह प्रथा दिन प्रतिदिन विकराल रूप धारण कर रही है। धीरे-धीरे सारा समाज इसकी चपेट में आता जा रहा है। अतः हम सब को मिलकर इस प्रथा की जड़ को ही समाप्त कर देना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।

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Answered by Anonymous
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Answer:

विज्ञान के इस युग में जहाँ हमे कुछ वरदान मिले है, वही अभिशाप भी मिले है और इसके अलावा ऐतिहासिक कहे या समाजिक बदलाव। इसका हमारे युवा पीढ़ी पर बहुत बुरे असर परतें है। जिस प्रकार ए प्रदूषण विज्ञान की कोख में जन्मा वेसे ही कुछ ऐसे प्रदूषण है जो इंसान की सोच से पनपा है।

बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।

कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।

ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है।

प्रदूषण का अर्थ:- प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। … प्रदूषण का अर्थ है – ‘हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।

प्रदूषण के प्रकार :- प्रदूषण कई प्रकार के है, जैसे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदुषण और धवनि प्रदूषण ये तो हुए प्रकर्तिक जो प्रकर्ति पर असंतुलन पैदा करने से उत्पन्न होता है। दूसरा हमारा सांस्कृतिक और दैनिक क्रियाओं वाले प्रदुषण।

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