Essay on topic ' छात्र और अनुशासन ' for class 8 in four to five long paragraph.
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Essay on Discipline in Hindi!
अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है- ‘शासन के पीछे चलना’ । अपने पथ-प्रदर्शक जैसे जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गाँधी आदि की तरह उनके आदेशों के नियन्त्रण में रहकर नियमबद्ध जीवन व्यतीत करना अनुशासन कहलाता है ।
अनुशासन का प्रथम केन्द्र उसके माता-पिता हैं जहाँ बालक अनुशासन का पाठ सीखता है । इसके पश्चात् विद्यालय जाकर गुरु से अनुशासन का पाठ पढ़ता है । जो बच्चा प्रारम्भ से ही अनुशासित होगा तो वह समस्त समस्याओं का समाधान भविष्य में करने में सक्षम रहेगा ।
अपने माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान भी करेगा । जो माता-पिता बच्चों को अनुशासन में नहीं रखते वह स्वयं उनसे भविष्य में अपमानित होते हैं । ऐसा बालक गुरु का भी सम्मान नहीं करता । अनुशासन की शिक्षा के लिए सवोत्तम केन्द्र विद्यालय है । यहाँ उन्हें अनुशासन की पूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए ।
जिससे वह कक्षा में झगड़ा न करे, गुरु का सम्मान करें, उसकी अनुपस्थिति में शोर न करें, कक्षा में पढ़ाए जा रहे पाठ को ध्यान से सुने । पाश्चात्य देशों में बच्चे को सबसे पहले अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है । अनुशासन प्रियता को उनमें कूट-कूटकर भरा जाता है । पाश्चात्य देश अनुशासित रहने में जितने आगे हैं भारतीय उतने ही पीछे ।
अनुशासन के नाम पर छोटे बच्चे को अधिक दण्डित नहीं किया जाना चाहिए । अधिकतर देखा जाता है माता-पिता अनुशासन सिखाने के नाम पर बच्चे को पीटते हैं । ऐसे में बच्चे की कोमल भावनाएँ कुचल जाती हैं, वह अपराधी की तरह अनुशासन तोड़ने की खोज में रहता है ।