essay on topic sardi ki dopahar
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भारत बदलती ऋतुओं का देश है। अक्टूबर के महीने से सरदी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। लंबी गरमी के बाद ठंडी हवा पहले तो बहुत सुहानी लगती है, फिर बढ़ती हुई सरदी से बचाव के लिए आदमी और जानवर सभी गरमाहट खोजने लगते हैं।
भारत बदलती ऋतुओं का देश है। अक्टूबर के महीने से सरदी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। लंबी गरमी के बाद ठंडी हवा पहले तो बहुत सुहानी लगती है, फिर बढ़ती हुई सरदी से बचाव के लिए आदमी और जानवर सभी गरमाहट खोजने लगते हैं।शीत ऋतु आते-आते दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं। सूरज देरी से निकलता है और उसकी गरमी भी कम हो जाती है। सरदी के बढ़ने ‘ पर पहाड़ों में बर्फ गिरने लगती है जिससे मैदानी इलाके और भी ठंडे हो जाते हैं। धीरे-धीरे सुबह के समय कोहरा भी छाने लगता है।
शीत ऋतु अपने साथ कई ताजे फल और सब्जियाँ लाती है। धूप में बैठकर संतरे और मूंगफली खाने का अपना ही आनंद है। सरदी में मेवे जैसे काजू, बादाम, पिस्ता और किशमिश भी खूब खाए जाते हैं। चाय, कॉफी और गरम दूध रजाई में दुबक कर पीने का बहुत आनंद आता है।
शीत ऋतु अपने साथ कई ताजे फल और सब्जियाँ लाती है। धूप में बैठकर संतरे और मूंगफली खाने का अपना ही आनंद है। सरदी में मेवे जैसे काजू, बादाम, पिस्ता और किशमिश भी खूब खाए जाते हैं। चाय, कॉफी और गरम दूध रजाई में दुबक कर पीने का बहुत आनंद आता है।निर्धन लोगों के लिए शीत ऋतु कष्टदायक होती है। कड़ाके की सरदी में सही कपड़े और पेटभर भोजन के अभाव में प्राय: गरीब लोग दम तोड़ देते हैं। हमें अपने पुराने ऊनी वस्त्र इन्हें दान देने चाहिए।
शीत ऋतु अपने साथ कई ताजे फल और सब्जियाँ लाती है। धूप में बैठकर संतरे और मूंगफली खाने का अपना ही आनंद है। सरदी में मेवे जैसे काजू, बादाम, पिस्ता और किशमिश भी खूब खाए जाते हैं। चाय, कॉफी और गरम दूध रजाई में दुबक कर पीने का बहुत आनंद आता है।निर्धन लोगों के लिए शीत ऋतु कष्टदायक होती है। कड़ाके की सरदी में सही कपड़े और पेटभर भोजन के अभाव में प्राय: गरीब लोग दम तोड़ देते हैं। हमें अपने पुराने ऊनी वस्त्र इन्हें दान देने चाहिए।संपन्न लोगों के लिए शीत ऋतु किसी त्योहार से कम नहीं है। वे बर्फीले इलाकों में अनेकानेक खेल खेलते हैं। मुझे भी शीत ऋतु में बहुत आनंद आता