Essay on urja ke paramparik strot
Answers
आजकल के हमारे जीवन में ऊर्जा यानि (एनर्जी, इंधन, तेल) का बहुत महत्त्व (प्राधान्यता) है | बिना ऊर्जा के हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते| सुबह सुबह पानी को ऊपर टंकी में चढाने से शुरू होकर हर काम के लिए हम बिजली या
इंधन से उत्पन्न ऊर्जा कि इस्तेमाल करते हैं |
ऊर्जा के पारंपरिक स्त्रोत हैं कोयिला, तेल, सहज गेस, और लकड़ी | in सब में कार्बन और अगनिक केमिकल वायु में ओक्सिजेन से जल कर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं |
पिछेले शताब्दी में उद्योगों में विकास, दुनिया के विकास होने से ऊर्जा का प्रयोग दिन बी दिन बढ़ता ही जा रहा है |
यह अच्छी बात है कि संसार आगे बढ़ रहा है| लेकिन इस में चिंता की बात यह है कि भूमि के अन्दर
से जो जीवाश्म इंधन मिलते हैं , वे जल्दी ही ख़त्म हो जायेंगे| क्योंकि वे जीवाश्म इंधन इतनी तेजी से नहीं बनते जितनी तेजी से हम खर्च करते हैं| क्योंकि उनको सहज रीति से बनने में सदियाँ लग जाते हैं |
और एक महत्वपूर्ण बात है कि इंधन को जलाने से बहुत धुआं निकालता है | उस धुए में हानिकारक गेस होते हैं|
उन्हें "ग्रीनहाउस गेस " कहते हैं| उनके कारण "धरती पर हमारी रक्षा करने वाला ओजोन का
परत में छेद होने लगे हैं| वातावरण (पर्यावरण) में प्रदूषण बहुत
ज्यादा फैल रहा है |
तो यह हुआ कि दोस्तों ऊर्जा की निर्लक्ष
उपयोग यानि अपव्यय करने से ऊर्जा बनाने के पैसे, मानव शक्ति की दुरुपयोग, प्रदूषण, और हानि इन
सब का हम कारण बनते हैं| इनका कारण सिर्फ हम हैं |
और कोई नहीं| अगर दुनिया का ऊर्जा (इंधन) का स्रोत ख़त्म हो जाये, तो हम क्या करेंगे ? प्रदूषण से लोगों को श्वास
संबंधी रोग होने से कौन बचाएगा? सिर्फ हम हमारे और पूरे मानव जाती के श्रेय और सुख का ध्यान रखना चाहिए |
इसी लिए दोस्तों मैं कहता हूँ कि
"जागरूक बने, ओर्जा का सही उपयोग करे !"
"ऊर्जा है तेरी जान, मजा नहीं है , तू जल्द
पहचान |"