English, asked by Anonymous, 1 month ago

Essay on विज्ञापन का जीवन पर प्रभाव | Vigyapan ka Jeevan Par Prabhav | Advertisement’s effect on Life​

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Answered by XxItZSiLeNtGuYxX
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विज्ञापन का अस्तित्व लम्बे समय

से है| कोई भी उत्पाद विज्ञापित होने पर ही प्रसारित व सफल होता है| पहले इसके तरीके

अत्यंत साधारण होते थे पर वर्तमान में ये एक क्रांति का रूप ले चुका है| निर्माता जितना

खर्च उत्पाद की गुणवत्ता में नहीं करता उतना खर्च विज्ञापन पर करता है| आज हम विज्ञापन

के युग में जी रहे है; ये कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी| आज रेडियो, टी वी , इंटरनेट,

इश्तिहार, अख़बार, होर्डिंग्स इत्यादि साधन उपलब्ध है| तय मानकों के अनुसार विज्ञापन

में उत्पाद  के फायदे- नुकसान व मूल्य बताना

मूल उद्देश्य है| पर वास्तविकता में कोई भी विज्ञापन उत्पाद के नुकसान नहीं बताता|

इसके विपरीत बॉलीवुड सितारों से अभिनय करवा कर उसे इतना लुभावना बना देते है कि वो

घंटों तक दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर छाया रहता है| हर हालत में दर्शक उसे खरीदना चाहता

है| गृहणियां अपना बजट बिगाड़ लेती है; बच्चे जिद से अपनी मांग मनवा लेते है| यहाँ तक

भी ठीक है; सीमा का उल्लंघन तो तब होता है जब एक विज्ञापन में अक्षय कुमार पैर पर रस्सी

बांधकर ऊँची इमारत से कूद गया| सेंकडो बच्चों ने इसकी देखादेखी में अपने प्राण गंवा

दिए|

विज्ञापन एजेंसी दर्शकों की हर तरह से नब्ज पहचानती है| भावनात्मक विज्ञापन बनाये जाते

है| राखी के अवसर पर चोकलेट के इतने विज्ञापन दिखाए जाते है कि परम्परागत मिठाइयों

के प्रति लोगों का उत्साह कम हो चला है| हमारा अवचेतन मन विज्ञापनों को भीतर ग्रहण

कर लेता है|सिर्फ 30 सेकेण्ड के विज्ञापन पर कम्पनी करोड़ो इसलिए खर्च कर देती है कि

उन्हें इसका असीमित फायदा मिल रहा होता है| दर्शक बाजार में उसी ब्रांड की मांग करता

है| उसकी हानियाँ जाने बगैर उसका इस्तेमाल करता है| लुभावने जिंगल्स तुरंत लोगों की

जुबान पर चढ़ जाते है| अमुक ब्रांड इतनी बार विज्ञापित किया जाता है कि घर-घर में अपना

स्थान बना लेता है| विदेशी कम्पनियों के कई उत्पाद शुद्ध शाकाहारी नहीं होते पर वे

जनमानस पर इस तरह छाये होते है कि कोई इनका परीक्षण भी नहीं करता| मैगी नूडल्स इसका

सर्वोत्तम उदाहरण है| आज ये उत्पाद फिर से बाजार में उपलब्ध है और बिक रहा है| अत:

सार रूप में यही कहा जा सकता है कि विज्ञापन की दुनिया वो तिलिस्मी दुनिया है जिसने

हर आयुवर्ग को, हर सामाजिक स्तर को खूबसूरती से जकड़ रखा है और ये पकड़ मजबूत होती जा

रही है| आवश्यकता है कि उपभोक्ता सावधान रहे| वे देख-परख कर अपनी आवश्यकतानुसार चुनाव

करें| अन्धानुकरण से बचे|

Answered by Anonymous
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Answer:

औद्योगिकीकरण आज विकास का पर्याय बन गया है। उत्पादन बढ़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि उत्पादित वस्तुओ को उपभोक्ता तक पहुँचाया ही नहीं जाय बल्कि उसे उस वस्तु की जानकारी की दी जाय। वस्तुतः मनुष्य को जिन वस्तुओ की आवश्यकता होती है व उन्हें तलाश ही लेता इसके ठीक विपरीत उसे जिसकी जरूरत नहीं होती वह उसके बारे में सुनकर अपना समय खराब नहीं करना चाहता। इस अर्थ में विज्ञापन वस्तुओ को ऐसे लोगों तक पहुँचाने का कार्य करता है जो यह मान चुके होते है कि उन वस्तुओं की उसे कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि उत्पादित वस्तु को लोकप्रिय बनाने तथा उसकी आवश्यकता महसूस कराने का कार्य विज्ञापन करता है।

विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। आज विज्ञापन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है।

किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है - यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप - रंग - सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोक्ता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है।

जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाना है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। यह 'कहीं पे निगाहें, कही पे निशाना' का सा अन्दाज है।

विज्ञापन सन्देश आमतौर पर प्रायोजकों द्वारा भुगतान किया है और विभिन्न माध्यमों के द्वारा देखा जाता है जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टीवी विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग या वेब्साइट आदि। वाणिज्यिक विज्ञापनदाता अक्सर उपभोक्ताओं के मन में कुछ गुणों के साथ एक उत्पाद का नाम या छवि जोड़ जाते हैं जिसे हम "ब्रान्डिग" कहते है। ब्रान्डिग उत्पाद या सेवा की बिक्री बढाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। गैर-वाणिज्यिक विज्ञापनों का उपयोग राजनीतिक दल, हित समूह, धार्मिक संगठन और सरकारी एजेंसियाँ करतीं हैं।

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