CBSE BOARD XII, asked by aditya2545, 1 year ago

essay on van aur pryaran sanrakshan​

Answers

Answered by ITzBrainlyGuy
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Explanation:

THE ANSWER IS IN HINDI:

पर्यावरण संरक्षण से तात्पर्य पर्यावरण की सुरक्षा करना. वृक्ष –वनस्पतियों का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है. वे मनुष्य के लिए अत्यंत उपयोगी हैं. वे मानव जीवन का आधार हैं, परन्तु आज मानव इनके इस महत्व व् उपयोग को न समझते हुए इनकी उपेक्षा कर रहा है. गौण लाभों को महत्व देते हुए इनका लगातार दोहन करता चला जा रहा है.जितनी वृक्ष कटते हैं,उतनी लगनी भी चाहिए, परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है और इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है. परिणामत: अनेकों समस्याएँ मनुष्य के सामने उपस्थित हो रही है.

पर्यावरण संरक्षण क्यों जरुरी है?

प्राणी अपने जीवन हेतु वनस्पति जगत पर आश्रित है. मनुष्य हवा में उपस्थित ऑक्सीजन को श्वास द्वारा ग्रहण करके जीवित रहता है. पेड़-पौधे ही प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन छोड़ते हैं. इस तरह मनुष्य के जीवन का आधार पेड़-पौधे ही उसे प्रदान करते हैं. इसके अतिरिक्त प्राणियों का आहार वनस्पति है. वनस्पति ही प्राणियों को पोषण प्रदान करती है. इसलिए पर्यावरण संरक्षण बहुत जरुरी है.

पिछले दिनों कल-कारखानों की वृद्धि को विकास का आधार माना जाता रहा है. खाद्य उत्पादन के लिए कृषि तथा सिंचाई पर जोर दिया जाता रहा है, परन्तु वन-संपदा की महत्ता समझने की ओर जितना ध्यान देना आवश्यक था, उतना दिया ही नहीं गया. वनों को जमीन घेरने वाला माना जाता रहा और उन्हें काटकर कृषि करने की बात सोची जाती रही है.जलाऊ लकड़ी तथा इमारती लकड़ी की आवश्यकता के लिए भी वृक्षों को अंधाधुंध काटा जाता रहा है और उनके स्थान पर नए वृक्ष लगाने की उपेक्षा बरती जाती रही है. इसलिए आज हम वन संपदा की दृष्टि से निर्धन होते चले जा रहे हैं और उसके कितने ही परोक्ष दुष्परिणामों को प्रत्यक्ष हानि के रूप में सामने देख रहे हैं.

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण समय की मांग है.

वृक्ष-वनस्पति से धरती हरी-भरी बनी रहे तो उससे मनुष्य को अनेकों प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ होते हैं. इंधन व इमारती लकड़ी से लेकर फल-फूल,औषधियों प्रदान करने, वायुशोधन, वर्षा का संतुलन,पत्तों से मिलने वाली खाद,धरती के कटाव का बचाव, बाढ़ रोकने, कीड़े खाकर फसल की रक्षा करने वाले पक्षियों को आश्रय आदि अनेक अनगिनत लाभ हैं. स्काटलैंड के वनस्पति वैज्ञानिक राबर्ट चेम्बर्स ने लिखा है- वन नष्ट होंगे तो पानी का अकाल पड़ेगा, भूमि की उर्वरा शक्ति घटेगी और फसलों की पैदावार कम होती जाएगी,पशु नष्ट होंगे,पक्षी घटेंगे. वन-विनाश का अभिशाप जिन पांच प्रेतों की भयंकर विभीषिका बनाकर खड़ा कर देगा वे हैं- बाढ़, सूखा, गर्मी, अकाल और बीमारी. हम जाने-अनजाने में वन संपदा नष्ट करते हैं और उससे जो पाते हैं, उसकी तुलना में कहीं अधिक गंवाते हैं.

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and it is my 1st answer in CBSE XII

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