Essay on vigyan shaap ki vardan
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[ विज्ञान वरदान है या अभिशाप ]
विज्ञान वरदान है या अभिशाप ये लोगो की सोच एवं विज्ञान से प्राप्त सुविधा और असुविधा पर निर्भर करता है | चुकि कुछ लोगो की जीविका विज्ञान के ही उपयोग से चलता है ,और कुछ लोगों को इनसे असुविधाएँ होती है | अतएव हम देखते है की विज्ञानं वरदान है और अभिशाप भी ,
विज्ञान वरदान है कैसे ?
विज्ञान ने मानव को नया आयाम दिया है | अपने विवेक व ज्ञान से निरंतर विज्ञान का विकास और उपयोग किया है | आज से लगभग एक शताब्दी पूर्व की बाद की जाय तो हमें एक जगह से दूसरी जगह जाने हेतु पैदल या बैलगाड़ी का उपयोग करते थे ,जहाँ पहुँचने में आज हम मिनटों का समय लेते है, वहां घंटो-दिनों का समय लगता था ,आखिर ये विज्ञान का ही तो कमल है | घर बैठे दूर -देश के परिजन से बाते करना विज्ञान के बिना क्या संभव है ? क्या बड़ी से बड़ी गणना मिनटों में संगणक से कर लेते है कैसे ? मनोरंजन का बेताज बादशाह 'टेलीविजन ' भी तो विज्ञान की ही देन है | रासायनिक खाद का उपयोग कर फसल की उपज मनचाहा बढ़ाना , यह क्या विज्ञान के बिना संभव है ? बातें अगर चिकित्सा की हो तो विज्ञान इसमें अव्वल है , चिकित्सा में क्रांतिक परिवर्तन - कैंसर जैसे रोगो का इलाज संभव होना , स्वाइन फ्लू को जड़ से ख़त्म करने की दवा , शल्य चिकित्सा में उत्क्रिस्ट विकास | घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से खरीदारी, बिज़नेस , रोजगार आदि विज्ञान ही तो सहाय है | यूं कहे विज्ञान आम जीवन की आवयश्क्ता को पूर्ती करने में कारगर ही नहीं अपितु वरदान से काम नहीं है |
विज्ञान अभिशाप है कैसे ?
एक और जहाँ विज्ञान हमें सुविधाएँ दे रहा है तो दूसरी और विनाश का कारण भी बनता जा रहा है , अगर आपको याद हो द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में तो परमाणु हथियार को कैसे भूल सकते है , जिसने जापान को तबाह कर दिया था , जिसका प्रभाव आज तक नागासाकी और हिरोसीमा में मिल रहा है | यह तो कुछ भी नहीं आज ऐसे हथियार को बनाने में वैज्ञानिक सफल हुए है जो सपूर्ण पृथ्वी को नस्ट कर सकता है| विज्ञान का निरंतर विकास प्रकृति को निरंतर दोहित कर रही है , जिससे आये दिन भूकंप , भूसंखलन , बाढ़ , ऋतुओं की अनियमितता आदि घटनाएँ हो रही है | प्राक़ृतिक संसाधनों का निरंतर दोहन हमें भविष्य के उस अंधियारे की और धकेल रहा है जहाँ से निकलना हमारे लिए असंभव है | दूरसंचार का बच्चों द्वारा दुरूपयोग करना भावी पीढ़ी को गर्त की और धकेल रहा है | इस प्रकार विज्ञान अभिशाप है |
इस प्रकार हम देखते है विज्ञान सिक्का की तरह है जिसके एक और वरदान तो दूसरे और अभिशाप |
विज्ञान वरदान है या अभिशाप ये लोगो की सोच एवं विज्ञान से प्राप्त सुविधा और असुविधा पर निर्भर करता है | चुकि कुछ लोगो की जीविका विज्ञान के ही उपयोग से चलता है ,और कुछ लोगों को इनसे असुविधाएँ होती है | अतएव हम देखते है की विज्ञानं वरदान है और अभिशाप भी ,
विज्ञान वरदान है कैसे ?
विज्ञान ने मानव को नया आयाम दिया है | अपने विवेक व ज्ञान से निरंतर विज्ञान का विकास और उपयोग किया है | आज से लगभग एक शताब्दी पूर्व की बाद की जाय तो हमें एक जगह से दूसरी जगह जाने हेतु पैदल या बैलगाड़ी का उपयोग करते थे ,जहाँ पहुँचने में आज हम मिनटों का समय लेते है, वहां घंटो-दिनों का समय लगता था ,आखिर ये विज्ञान का ही तो कमल है | घर बैठे दूर -देश के परिजन से बाते करना विज्ञान के बिना क्या संभव है ? क्या बड़ी से बड़ी गणना मिनटों में संगणक से कर लेते है कैसे ? मनोरंजन का बेताज बादशाह 'टेलीविजन ' भी तो विज्ञान की ही देन है | रासायनिक खाद का उपयोग कर फसल की उपज मनचाहा बढ़ाना , यह क्या विज्ञान के बिना संभव है ? बातें अगर चिकित्सा की हो तो विज्ञान इसमें अव्वल है , चिकित्सा में क्रांतिक परिवर्तन - कैंसर जैसे रोगो का इलाज संभव होना , स्वाइन फ्लू को जड़ से ख़त्म करने की दवा , शल्य चिकित्सा में उत्क्रिस्ट विकास | घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से खरीदारी, बिज़नेस , रोजगार आदि विज्ञान ही तो सहाय है | यूं कहे विज्ञान आम जीवन की आवयश्क्ता को पूर्ती करने में कारगर ही नहीं अपितु वरदान से काम नहीं है |
विज्ञान अभिशाप है कैसे ?
एक और जहाँ विज्ञान हमें सुविधाएँ दे रहा है तो दूसरी और विनाश का कारण भी बनता जा रहा है , अगर आपको याद हो द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में तो परमाणु हथियार को कैसे भूल सकते है , जिसने जापान को तबाह कर दिया था , जिसका प्रभाव आज तक नागासाकी और हिरोसीमा में मिल रहा है | यह तो कुछ भी नहीं आज ऐसे हथियार को बनाने में वैज्ञानिक सफल हुए है जो सपूर्ण पृथ्वी को नस्ट कर सकता है| विज्ञान का निरंतर विकास प्रकृति को निरंतर दोहित कर रही है , जिससे आये दिन भूकंप , भूसंखलन , बाढ़ , ऋतुओं की अनियमितता आदि घटनाएँ हो रही है | प्राक़ृतिक संसाधनों का निरंतर दोहन हमें भविष्य के उस अंधियारे की और धकेल रहा है जहाँ से निकलना हमारे लिए असंभव है | दूरसंचार का बच्चों द्वारा दुरूपयोग करना भावी पीढ़ी को गर्त की और धकेल रहा है | इस प्रकार विज्ञान अभिशाप है |
इस प्रकार हम देखते है विज्ञान सिक्का की तरह है जिसके एक और वरदान तो दूसरे और अभिशाप |
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