Hindi, asked by hiralgohil6800, 5 months ago

Essay on Vijay bhai rupani in hindi​

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Answered by adityashaw0014
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स्वच्छ छवि के रूपानी का जन्म 2 अगस्त 1956 को 2 अगस्त 1956 को बर्मा के रंगून में जन्म हुआ। उन्होंने बीए, एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रूपानी सौराष्‍ट्र क्षेत्र से आते हैं, जहां जैन बनिया समुदाय काफी बड़ी संख्‍या में है। छात्र जीवन से ही उन्होंने राजनीति की शुरुआत कर दी थी।

विजय रुपाणी ने धर्मेंद्रसिन्हजी आर्टस कॉलेज से बीए किया और सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया है। वे अपने पिता के दवारा स्थापित कारोबारी फर्म रसिकलाल एंड सन्स में साझीदार भी हैं। वे कभी स्टॉक ब्रोकर (शेयर दलाल) के रूप में भी काम कर चुके हैं।

विजय रुपाणी का विवाह अंजलि रूपाणी से हुआ है। अंजलि रूपाणी भी राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हैं। व भाजपा की महिला शाखा की सदस्य हैं। दोनों के तीन बच्चे हुए। बड़ा बेटा सौरभ इंजीनियरिंग कर रहा है और बेटी राधिका की शादी हो चुकी है। छोटे बेटे पुजित का एक हादसे में निधन हो गया था। रुपानी दंपति ने उसकी याद में पुजित रूपाणी मेमोरियल ट्रस्ट भी खोला है जो जनकल्याण के क्षेत्र में सक्रिय है।

विजय रुपाणी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा अखिल भारतीय विदयार्थी परिषद के सदस्य के रूप में की थी। वे भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भी सदस्य रहे हैं। बाद में 1971 में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इसकी राजनीतिक शाखा जनसंघ से भी जुड़ गए।

इंदिरा सरकार की ओर से लगाए गए आपात काल के दौरान वे 1976 में 11 महीने तक भुज और भावनगर की जेलों में भी बंद रहे हैं। Vijay Rupani ने 1978 से 1981 तक राष्ट्रीय सेवक संघ के प्रचारक के रूप में भी काम किया है।

1987 में विजय रुपाणी राजकोट नगर निगम के पार्षद चुने गए। 1988 से 1986 तक वे राजकोट नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन रहे। 1995 में Vijay Rupani एक बार फिर राजकोट नगर निगम के पार्षद चुने गए। वे 1996 से 1997 तक Vijay Rupani राजकोट नगर निगम के मेयर भी रहे।

राजनीतिक जीवन

राजकोट पश्चिम से विधायक विजय रूपानी ने 1971 में जनसंघ के सदस्य बने तथा इसी समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ गए। उन्होंने राजनीति की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। वे गुजरात के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जो आपातकाल के दौरान जेल गए। रूपानी राज्यसभा सांसद के साथ पार्टी महासचिव भी रह चुके हैं।

युवाओं में लोकप्रिय रूपानी के बारे में कहा जाता है कि वे गुजरात की राजनीति को बखूबी समझते हैं। वे राज्य के ट्रांसपोर्ट मंत्री भी रह चुके हैं साथ युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। 60 वर्ष के रूपानी को केशुभाई पटेल के जमाने में पार्टी ने मेनिफेस्‍टो कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया था। विजय रूपानी को कुशल चुनाव प्रबंधन के लिए भी जाना जाता है। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में सौराष्‍ट्र-कच्‍छ इलाके में उन्होंने पूरी कुशलता से चुनाव का संचालन किया था, जहां भारी मतों से भाजपा की जीत हुई थी

काफी निचले स्‍तर से की शुरुआत

विजय रुपाणी ने अपनी राजनीति की शुरुआत काफी निचले स्‍तर से शुरू की थी। एबीवीपी के छात्र कार्यकर्ता के रूप में उन्‍होंने अपनी राजनीति की पारी शुरू की थी। इसके बाद वह राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ से जुड़ गए। इमरजेंसी के दौरान रुपाणी भी कई नेताओं की तरह 11 महीने के लिए जेल गए थे। लेकिन समय के साथ-साथ राजनीति पर उनकी पकड़ भी मजबूत होती चली गई।

संघ के रहे प्रचारक

रुपाणी 1978 से 1981 तक वह संघ के प्रचारक भी रहे। लेकिन उनकी राजनीति की पारी का सबसे अहम मोड़ उस वक्‍त आया जब उन्‍होंने 1987 में राजकोट नगर निगम के चुनाव में कार्पोरेटर के तौर पर जीत हासिल की। राजनीति की यह पहली ऐसी सीढ़ी थी जिसपर उन्‍होंने कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद वह ड्रेनेज कमेटी के चेयरमैन बने।

कई अहम पदों पर रह चुके हैं रुपाणी

इसके एक वर्ष बाद ही वह राजकोट नगर निगम में स्‍टेंडिंग कमेटी के चेयरमैन बनाए गए। इस पद पर वह 1996 से लेकर 1997 तक रहे। गुजरात भाजपा में उनके लगातार बढ़ते कद को भांपते हुए ही उन्‍हें 1998 में प्रदेश में पार्टी का महासचिव बनाया गया। इस पद के लिए वह चार बार चुने गए। इसके अलावा केशूभाई पटेल ने उन्‍हें मेनिफेस्‍टो कमेटी का चेयरमैन भी बनाया था। 2006 में वह गुजरात ट्यूरिज्‍म के चेयरमैन बने।

रोचक जानकारियाँ

o रुपाणी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी- भाजपा के छात्र राजनीतिक विंग) के एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।

o रुपाणी ने वर्ष 1971 में राजनीति में प्रवेश किया, जब वे आरएसएस और जनसंघ कार्यकर्ता थे।

o गुजरात के कैबिनेट (2016) में, वह एकमात्र कैबिनेट मंत्री थे, जिन्हें आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया था।

o राजकोट में नगर निगम सद्स्य के रूप में सेवा करने के बाद वह राजकोट के मेयर बने और उसके बाद वह राज्यसभा के सद्स्य चुने गए।

o केशुभाई पटेल के शासनकाल के दौरान, वह घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे।

o जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने गुजरात वित्त बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उसके बाद भाजपा की गुजरात यूनिट के महासचिव के रूप में कार्य किया।

o गुजरात में आंनदीबेन पटेल के कार्यकाल के दौरान रुपाणी परिवहन, जल आपूर्ति, श्रम और रोजगार विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।

Answered by KISHAN362003
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Answer:

aur unhone Hali me Dragon fruit ka name Badal ke Kamalam Kiya. bhai isko essay me dal de teacher full marks degi XD

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